अनुच्छेद 370: कांग्रेस के अंदर मतभेद, कई वरिष्ठ नेताओं ने सरकार के फैसले का किया समर्थन

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[email protected] । Aug 7 2019 8:49AM

सिंधिया ने सरकार के कदम का समर्थन करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम के लिए अगर संवैधानिक प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया जाता तो बेहतर होता।

नयी दिल्ली। कांग्रेस के कई नेता जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के कदम का समर्थन कर इस पर संसद में पार्टी द्वारा अख्तियार किये गए रूख के खिलाफ चले गये हैं। कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 पर केंद्र के संकल्प और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के विधेयक का सख्त विरोध किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दीपेंद्र हुड्डा ने पार्टी के रूख के खिलाफ जाते हुए केंद्र के कदम का समर्थन किया। पार्टी के लिए शर्मिंदगी का सबब बनते हुए एक अन्य नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि बरसों पुरानी पार्टी को कोई रूख अख्तियार करने से पहले लोगों का मन भांपना चाहिए। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि इस मुद्दे पर लोग सरकार के साथ हैं।  द्विवेदी ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द किये जाने का स्वागत करते हुए कहा कि भले ही यह कदम देर से उठाया गया है, लेकिन एक ऐतिहासिक भूल को ठीक किया गया है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय संतोष का विषय है कि आजादी के समय की गई ‘‘गलती’’ को दुरूस्त कर दिया गया है। वहीं, सिंधिया ने सरकार के कदम का समर्थन करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम के लिए अगर संवैधानिक प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया जाता तो बेहतर होता।

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सिंधिया ने ट्वीट किया, ‘‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत संघ में उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं। संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता, तो और बेहतर होता। लेकिन यह राष्ट्रहित में है और मैं इसका समर्थन करता हूं।’’ शास्त्री ने भी ट्वीट कर कहा, ‘‘कांग्रेस को अवश्य ही लोगों के मन को भांपना चाहिए और फिर कोई रूख अखितयार करना चाहिए। इस मुद्दे पर लोग पूरी तरह से सरकार के साथ हैं। हमने मंडल(कमीशन) का विरोध किया और उत्तर प्रदेश एवं बिहार को गंवा दिया तथा अब भारत को खोने का खतरा मोल नहीं लेना चाहिए।’’ हुड्डा ने दलील दी कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के (ज्यादातर) प्रावधानों को हटाना ‘‘राष्ट्रीय अखंडता के हित में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा ही कहा है कि अनुच्छेद 370 को रद्द किया जाना चाहिए। 21 वीं सदी में इसकी कोई जगह नहीं है...।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पार्टी के नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 को ‘‘उदार बनाम रूढ़िवादी चर्चा’’ में तब्दील किया जा रहा है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि पार्टियों को भारत की संप्रभुता एवं संघवाद के सर्वश्रेष्ठ हित में, जम्मू कश्मीर में शांति, कश्मीरी युवाओं के लिए रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के वास्ते वैचारिक हठ एवं बहस को दूर ही रखना चाहिए। देवड़ा ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के कदम को ‘मोदी सरकार 2.0’ का नोटबंदी जैसा कदम बताया जा सकता है। 

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उन्होंने इस बात का जिक्र किया, ‘‘शांति की खातिर और जम्मू कश्मीर में विकास के लिए, मैं उम्मीद करता हूं कि यह फैसला नोटबंदी की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद रहेगा।’’ द्विवेदी ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे। हम लोग छात्र आंदोलन में इसका विरोध किया करते थे। जहां तक मेरा व्यक्तिगत विचार है तो उसके हिसाब से यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है।’’ द्विवेदी ने कहा, ‘‘यह राष्ट्र के लिए संतोष का विषय है। आजादी के समय हुई ऐतिहासिक गलती को आज सुधार दिया गया, हालांकि देर हुई लेकिन यह स्वागत योग्य है।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनका विचार व्यक्तिगत है और वह पार्टी का विचार नहीं प्रकट कर रहे हैं। राज्य सभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक भुवनेश्वर कलिता ने इस मुद्दे पर उच्च सदन की अपनी सदस्यता छोड़ दी। दरअसल, उनसे पार्टी ने विधेयक का विरोध करने के लिए सभी सदस्यों को एक व्हिप जारी करने को कहा था। उत्तर प्रदेश में रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने भी ट्विटर पर कहा, ‘‘एकजुट हम खड़े हैं! जय हिंद। # अनुच्छेद 370। ’’ उन्हें जब यह याद दिलाया गया कि वह कांग्रेस की एक नेता हैं तब उन्होंने जवाब दिया, ‘‘मैं एक हिंदुस्तानी हूं।’’ उन्होंने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया और लोगों से इसे राजनीतिक रंग नहीं देने की अपील की। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि ऐसा समझा जा रहा है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी की इस टिप्पणी से नाराज है, जिसमें उन्होंने जम्मू कश्मीर के आंतरिक विषय होने पर सवाल उठाया और कहा कि इसकी निगरानी संयुक्त राष्ट्र द्वारा की जा रही है। 

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