केजरीवाल की धमकी, आदेश न मानने वाले अधिकारी परिणाम भुगतने को रहें तैयार

Arvind Kejriwal threatens officials
[email protected] । Jul 6 2018 12:22PM

उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली के उप-राज्यपाल (एलजी) के अधिकारों में कटौती करने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज एलजी अनिल बैजल से मिलेंगे।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली के उप-राज्यपाल (एलजी) के अधिकारों में कटौती करने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज एलजी अनिल बैजल से मिलेंगे। इस बीच, तबादला- तैनाती के केजरीवाल सरकार के आदेश को लेकर एक बार फिर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और नौकरशाहों के रिश्तों में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। केजरीवाल ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने तबादले और तैनाती से जुड़े दिल्ली सरकार के आदेश नहीं माने तो उन्हें ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे। 

एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार आदेश का पालन करने से इनकार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने सहित अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। एक अन्य सरकारी अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री केजरीवाल और उप - मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कल एलजी बैजल से मिलकर उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चर्चा करेंगे। दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सत्ता के वर्चस्व की लड़ाई पर उच्चतम न्यायालय के कल के आदेश के बाद मुख्यमंत्री और एलजी की यह पहली मुलाकात होगी। 

केजरीवाल ने एलजी बैजल को पत्र लिखकर कहा कि ‘सेवा’ से जुड़े मामले मंत्रिपरिषद के पास हैं। केजरीवाल ने यह पत्र तब लिखा जब अधिकारियों ने तबादला और तैनाती के अधिकार एलजी से लेने के ‘आप’ सरकार के आदेश को मानने से इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के उस फैसले के बाद केजरीवाल ने यह पत्र लिखा जिसमें एलजी के अधिकारों में खासा कटौती की गई है। 

अब ‘आप’ सरकार लोक कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और न्यायालय के फैसले के बारे में अपने सभी अधिकारियों को आदेश जारी करने की तैयारी में है। बैजल को लिखे गए पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब किसी भी मामले में एलजी की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को उच्चतम न्यायालय का आदेश अक्षरश: लागू कराने की दिशा में काम करने की जरूरत है। उच्चतम न्यायालय के कल के ऐतिहासिक फैसले के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादले और तैनाती के लिए एक नई व्यवस्था शुरू की जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंजूरी देने वाला प्राधिकारी बताया गया। 

बहरहाल, सेवा विभाग ने इस आदेश का पालन करने से इनकार करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की 21 मई 2015 की वह अधिसूचना निरस्त नहीं की जिसके अनुसार सेवा से जुड़े मामले उप- राज्यपाल के पास रखे गए हैं। उच्चतम न्यायालय ने कल अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि एलजी निर्वाचित सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं और वह ‘‘ बाधा पैदा करने वाला ’’ नहीं बन सकते। 

केजरीवाल ने आज ट्वीट किया, ‘‘सभी अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान और पालन करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के आदेश के खुले उल्लंघन से गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यह किसी के हित में नहीं होगा।’’ उप - मुख्यमंत्री सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘‘सेवा विभाग के सचिव को एक बार फिर निर्देश दिया है कि कल के निर्देश के मुताबिक आदेश जारी करें। अधिकारी को सूचित किया कि आदेश नहीं मानने पर उच्चतम न्यायालय की अवमानना हो सकती है और अधिकारी को अनुशासनिक कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।’’ यदि केजरीवाल सरकार और नौकरशाही अपने रुख पर अड़े रहे तो सेवा से जुड़े मामलों को लेकर दोनों पक्षों में एक बार फिर टकराव तय है। 

उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए केजरीवाल ने पत्र में लिखा , ‘‘ सेवा से जुड़ी कार्यकारी शक्तियां मंत्रिपरिषद के पास हैं।’’  उन्होंने कहा, ‘‘यह साफ है .... कि केंद्र सरकार / एलजी को केवल तीन विषयों पर कार्यकारी शक्तियां प्राप्त हैं। बाकी सभी विषयों पर कार्यकारी शक्तियां मंत्रिपरिषद के पास हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि शीर्ष न्यायालय के इतने स्पष्ट आदेश के बाद गृह मंत्रालय की अधिसूचना ‘‘ निष्प्रभावी ’’ हो गई है। उन्होंने कहा कि न्यायालय का फैसला सुनाए जाने के क्षण से ही प्रभावी हो गया है। 

एलजी को लिखे गए पत्र में केजरीवाल ने कहा, ‘‘दिल्ली के विकास के लिए, लोक कल्याणकारी योजनाएं लागू करने के लिए और उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल के लिए हम आपका (एलजी का) समर्थन चाहते हैं। हम उक्त आधार पर दिल्ली सरकार के सभी पदाधिकारियों को कल आदेश जारी करने की योजना बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि किसी उपरोक्त मुद्दे पर आपके विचार विपरीत हैं तो कृपया हमें बताएं। यदि आप चाहेंगे तो मैं खुद और मेरे कैबिनेट सहकर्मी चर्चा के लिए आपके पास आ सकते हैं।’’

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