सिद्धरमैया का इस्तीफा देने वाले कांग्रेसी विधायकों से अनुरोध, पार्टी में वापस आए या नतीजे भुगतने को रहे तैयार

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[email protected] । Jul 9 2019 4:19PM

सिद्धरमैया ने दावा किया कि इस्तीफा न स्वेच्छा से दिया गया है और न ही वास्तविक है। उन्होंने बताया कि बैठक में शामिल हुए सभी विधायकों ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा दोहरायी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कर्नाटक और अन्य राज्यों में चुनी हुई सरकार को गैर-लोकतांत्रिक तरीके से अस्थिर कर रही है और यह उनका छठा प्रयास है।

बेंगलुरू। कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने मंगलवार को कहा कि जिन बागी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है पार्टी उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग करेगी। राज्य में विधायकों के इस्तीफे के दौर के बीच कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने मंगलवार को कहा कि उनका हर कदम इतिहास बनेगा। कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के भविष्य की कुंजी अब कुमार के ही हाथों में है। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस्तीफा देने वाले पार्टी के 10 विधायकों से अनुरोध किया है कि वे पार्टी में वापस आ जायें नहीं तो नतीजे भुगतने के लिये तैयार रहें। गठबंधन के 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद उपजी संकट से निपटने के लिये यहां आयोजित कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से हुई बातचीत में यह घोषणा की। इन 13 विधायकों में 10 कांग्रेस के और तीन जद(एस) विधायक हैं।

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सिद्धरमैया ने दावा किया कि इस्तीफा न स्वेच्छा से दिया गया है और न ही वास्तविक है। उन्होंने बताया कि बैठक में शामिल हुए सभी विधायकों ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा दोहरायी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कर्नाटक और अन्य राज्यों में चुनी हुई सरकार को गैर-लोकतांत्रिक तरीके से अस्थिर कर रही है और यह उनका छठा प्रयास है। सिद्धरमैया ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार से इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग विधानसभा में गांधी प्रतिमा के पास धरने का आयोजन करने जा रहे हैं जिसमें सभी विधायक हिस्सा लेंगे, इसके बाद हमलोग विधानसभा अध्यक्ष को अर्जी सौंपेंगे।’’ बहरहाल बदलते परिदृश्य में अब सभी की निगाहें विधानसभा अध्यक्ष कुमार पर टिकी हुई हैं, जिन्हें कांग्रेस और जद(एस) के कुल 13 विधायकों के विधानसभा से इस्तीफे पर फैसला लेना है।

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यह पूछे जाने पर कि क्या उनके कार्यालय में भेजा गया इस्तीफा स्वीकृत होगा, इस पर कुमार ने संकेत दिया कि विधायकों को अपना इस्तीफा उनसे मिलकर निजी तौर पर देना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘वरना, मेरी तो कोई जरूरत ही नहीं है। अगर सबकुछ पत्राचार के माध्यम से हो सकता है तो मेरी क्या जरूरत है।’’ बताया जाता है कि दो निर्दलीय विधायकों के साथ ये विधायक इस वक्त महाराष्ट्र में कहीं ठहरे हुए हैं और उनके भाजपा को समर्थन देने की संभावना है। 12 जुलाई को होने वाले विधानसभा सत्र से पहले इस्तीफा पत्रों पर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले की काफी अहमियत है क्योंकि यह एच डी कुमारस्वीमी के नेतृत्व वाली डांवाडोल गठबंधन सरकार का भविष्य तय करेगी।

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224 सदस्यीय विधानसभा में दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ भाजपा के पास 107 विधायक हैं जबकि बहुमत का आंकड़ा 113 है। अगर इन 13 विधायकों का इस्तीफे स्वीकार कर लिया जाता है तो गठबंधन का आंकड़ा घटकर 103 हो जायेगा। इसमें विधानसभा अध्यक्ष का भी एक वोट शामिल है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह नियमावली पुस्तिका का पालन करेंगे और इन गतिविधियों के बारे में वरिष्ठों से परामर्श करेंगे कि इन इस्तीफों को स्वीकार करना चाहिए या अन्य तरह की कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत सावधानी से निर्णय करना होगा। मेरा हर कदम इतिहास बनेगा। इसलिए मैं कोई गलती नहीं कर सकता हूं ताकि भविष्य की पीढ़ी मुझे आरोपी के तौर पर नहीं देखे।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ से उन्हें इस्तीफा अस्वीकार करने के संबंध में कोई पत्र मिला है, इस पर उन्होंने कहा कि अब तक उन्होंने कोई पत्र नहीं देखा है।

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