पंजाब से दूर रहने को कहा था इसलिए इस्तीफा दियाः सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के मसले पर आज अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि भाजपा ने उन्हें पंजाब से दूर रहने को कहा था।
नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के मसले पर आज अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि भाजपा ने उन्हें पंजाब से दूर रहने को कहा था। सिद्धू ने इस बात पर जोर दिया कि वे परिवार या किसी भी पार्टी से ‘‘सौ गुना’’ ज्यादा अपने राज्य को चुनेंगे। हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि उनका अगला कदम क्या होगा। क्रिकेट खिलाड़ी से नेता बने सिद्धू ने भाजपा से अपनी नाराजगी का साफ इजहार किया लेकिन आम आदमी पार्टी में शामिल होने के सवालों को टालते हुए कहा कि जहां भी पंजाब के हित की बात होगी वे वहीं रहेंगे।
सिद्धू ने आरोप लगाया कि ‘‘स्वार्थी हितों की पूर्ति’’ करने के लिए उन्हें पंजाब से दूर रहने को कहा गया था। उन्होंने संकेत दिया कि भाजपा अपने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के दबाव में काम कर रही है। अकालियों और सिद्धू के बीच लंबे समय से झगड़ा चला आ रहा है। भाजपा पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा कि विपरित परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने प्रतिष्ठित अमृतसर सीट पार्टी की झोली में डाली लेकिन 2014 में उन्हें अपनी सीट बदलने को कहकर ‘‘मोदी लहर में डूबो दिया गया’’। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा तीन से चार बार हुआ’’ जिसे एक बार भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था क्योंकि ‘‘मेरे लिए कोई भी पार्टी पंजाब से ज्यादा महत्व नहीं रखती।’’
सिद्धू ने कहा, ‘‘नवजोत सिंह सिद्धू ने चार चुनाव जीते लेकिन जब मोदी साहब की लहर थी तब दुश्मनों के साथ-साथ सिद्धू को भी डुबो दिया गया। मुझे कहा गया कि आप अमृतसर से नहीं लड़ सकते। आप कुरूक्षेत्र या पश्चिम दिल्ली से खड़े हो सकते हो। तो मैंने अपनी जड़ों से दूर नहीं जाने का फैसला लिया और फिर फायदे-नुकसान की भी परवाह नहीं की।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार बनना चाहते हैं, तो उच्च सदन से पिछले हफ्ते इस्तीफा देने के बाद मीडिया से अपनी पहली चर्चा में सिद्धू ने कहा कि वे हमेशा से पंजाब की सेवा करना चाहते हैं।
भाजपा के प्रति अपनी निराशा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा कि मैं नहीं लडूंगा। मेरी किसी पद के लिए लालसा नहीं है लेकिन मैं उन लोगों के भरोसे को नहीं तोडूंगा जिन्होंने मुझे अमृतसर से सांसद बनाया और 21 पीढ़ियों में सबसे ज्यादा सम्मान दिया। अब आप मुझे पंजाब छोड़ देने के लिए कह रहे हैं। बताईये तो सही कि मैंने क्या पाप किया है।’’ सिद्धू ने पंजाब को ही अपना देश बताते हुए कहा कि वे इससे दूर नहीं रह सकते। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने राज्यसभा छोड़ दी क्योंकि मुझे कहा गया था कि मैं पंजाब की ओर देखूं भी नहीं और राज्य से दूर ही रहूं। मेरे लिए पंजाब से बड़ा कोई धर्म नहीं है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या वे आप में शामिल होंगे या फिर अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के दावेदार बनना चाहते हैं, तो उनका जवाब था, ‘‘आप देखेंगे कि सिद्धू वहीं खड़ा है जहां पंजाब का हित है। नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा से पंजाब और अमृतसर की सेवा करना चाहता है।’’ सिद्धू ने बताया कि उन्होंने 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर चुनाव लड़ा था और लगभग एक लाख वोट के अंतर से जीत हासिल की थी। इसके बाद दो बार और यहां से चुनाव जीता। 2009 में तो वे यहां से पार्टी के इकलौते सांसद थे। बहरहाल भाजपा का अब भी यही कहना है कि सिद्धू ने अभी तक पार्टी नहीं छोड़ी है।
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