नगा समझौते पर हस्ताक्षर के समय असम के हितों का रखा जाएगा ध्यान: अमित शाह

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[email protected] । Nov 7 2019 8:47PM

केंद्र ने 31 अक्टूबर को कहा था कि उसने नगा उग्रवादी समूहों के साथ बातचीत अभी समाप्त नहीं की है और वह किसी समझौते पर पहुंचने से पहले असम, मणिपुर तथा अरुणाचल प्रदेश राज्यों समेत सभी पक्षों से सलाह-मशविरा करेगा।

नयी दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को गुरुवार को आश्वासन दिया कि नगालैंड में उग्रवाद को समाप्त करने के लिए नगा विद्रोही गुटों के साथ किसी भी प्रकार के समझौते पर हस्ताक्षर करते समय केन्द्र असम और उसके लोगों का ध्यान रखेगा। असम सरकार की ओर से जारी एक बयान के अनुसार सोनोवाल ने शाह से यहां मुलाकात की और उस दौरान शाह ने सोनोवाल को यह आश्वासन दिया।

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शाह और सोनोवाल के बीच नगा समझौते पर विस्तृत चर्चा हुई। दशकों पुरानी इस समस्या के हल के लिए केन्द्र के वार्ताकार आर एन रवि और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-आइजेक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) जैसे उग्रवादी संगठनों के बीच बातचीत अंतिम चरण में है। बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री से मुलाकात के दौरान अपील की कि किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर करते समय असम और उसके लोगों के हितों का ध्यान रखा जाए। इस पर शाह ने कहा कि ऐसा कोई काम नहीं किया जाएगा जो राज्य और उसके लोगों के हितों के खिलाफ होगा। गौरतलब है कि केंद्र ने 31 अक्टूबर को कहा था कि उसने नगा उग्रवादी समूहों के साथ बातचीत अभी समाप्त नहीं की है और वह किसी समझौते पर पहुंचने से पहले असम, मणिपुर तथा अरुणाचल प्रदेश राज्यों समेत सभी पक्षों से सलाह-मशविरा करेगा। 

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार के संज्ञान में आया है कि मीडिया और सोशल मीडिया में अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि अंतिम नगा समझौता हो गया है और जल्द इसकी घोषणा की जाएगी। बयान में कहा गया, ‘‘देश के कुछ हिस्सों में इससे चिंता पैदा हो रही है। साफ है कि नगा समूहों के साथ किसी समझौते पर पहुंचने से पहले असम, मणिपुर तथा अरुणाचल प्रदेश राज्यों समेत सभी पक्षों से उचित परामर्श लिया जाएगा और उनकी चिंताओं पर विचार किया जाएगा। इस तरह की अफवाहों और गलत सूचनाओं पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।’’ केंद्र सरकार ने मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में नगा बहुल इलाकों के एकीकरण की एनएससीएन-आईएम की मांग पहले ही खारिज कर दी है। पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों ने भी इस मांग का पुरजोर विरोध किया है।

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