औरंगाबाद के सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस से उबरे मरीजों की समस्याओं के निदान के लिए खुलेगा केंद्र

Aurangabad

अस्पताल के प्रमुख और सिविल सर्जन डॉ. सुंदर कुलकर्णी ने कहा, ‘‘ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के लंबे समय तक प्रभाव के बारे में बताया था। 10 दिन के इलाज के बाद मरीजों को छुट्टी दे दी जाती है और उसके बाद उनकी सेहत से जुड़ी कोई जानकारी नहीं ली जाती।’’

औरंगाबाद।  महाराष्ट्र के औरंगाबाद के एक सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के बाद भी मरीजों में रहने वाली समस्याओं के निदान के लिए जल्द एक नया केन्द्र खोला जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि ‘पोस्ट कोविड-19’ ओपीडी (बहिरंग रोगी विभाग) सेवाएं नवम्बर के पहले सप्ताह से शुरू होंगी। उन्होंने बताया कि शहर के चिल्कलथाना इलाके में सिविल अस्पताल में संक्रमण से उबरे लोगों को हो रही समस्याओं के निदान के लिए इस केन्द्र की स्थापना की गई है। अस्पताल के प्रमुख और सिविल सर्जन डॉ. सुंदर कुलकर्णी ने कहा, ‘‘ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के लंबे समय तक प्रभाव के बारे में बताया था। 10 दिन के इलाज के बाद मरीजों को छुट्टी दे दी जाती है और उसके बाद उनकी सेहत से जुड़ी कोई जानकारी नहीं ली जाती।’’ 

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कुलकर्णी ने कहा, ‘‘हमने अक्सर देखा है कि स्वास्थ्य केन्द्रों में 10 दिन के इलाज के बाद भी मरीजों को कमजोरी, खांसी, गले में खराश और बुखार की शिकायत रहती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इस नए केन्द्र में ऐसी ही समस्याओं का सामना कर रहे लोगों का इलाज किया जाएगा। ऐसी परेशानियां हमारे शरीर में 56 दिन तक रह सकती हैं।’’ आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार शहर के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में ऐसी सुविधा पहले से ही जारी है। औरंगाबाद में कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने की दर 93.72 प्रतिशत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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