औरंगाबाद में कैदियों ने लॉकडाउन खोले जाने के बाद से बुनीं 2,000 साड़ियां, 25 कैदी कर रहे हैं काम

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अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना पर 25 कैदी काम कर रहे हैं और प्रत्येक को इसके लिए हर दिन 55 रुपये मिल रहे हैं। अब हमारे पास 2,000 साड़ियों का भंडार है। इससे पहले कैदी शर्ट, पैंट और मास्क बनाया करते थे। अब वे सूती साड़ियां बना रहे हैं।

औरंगाबाद। महाराष्ट्र के औरंगादबाद केंद्रीय कारागार के कैदियों ने कोरोना वायरस के कारण लागू प्रतिबंधों में जून में ढील दिए जाने के बाद से अब तक 2,000 साड़ियां बुनी हैं। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि यह काम जेल में पड़े पांच से छह पुराने बिजली करघों पर किया गया और इससे जेल के 25 कैदियों को रोजगार मिला। यह जेल शहर के हरसूल इलाके में स्थित है। उन्होंने बताया कि यह परियोजना पांच से छह महीने पहले शुरू हुई थी। इसके बारे में पहले लॉकडाउन के दौरान विचार किया गया और साड़ी बुनने की प्रक्रिया जून में शुरू हुई। 

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उन्होंने बताया, ‘‘इस परियोजना पर 25 कैदी काम कर रहे हैं और प्रत्येक को इसके लिए हर दिन 55 रुपये मिल रहे हैं। अब हमारे पास 2,000 साड़ियों का भंडार है। इससे पहले कैदी शर्ट, पैंट और मास्क बनाया करते थे। अब वे सूती साड़ियां बना रहे हैं।” अधिकारी ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत, 25 से 40 मीटर कपड़ा बुना जाता है जिसे बाद में साड़ी बनाने के लिए अलग-अलग रंगों में डाई किया जाता है। उन्होंने कहा, “फिलहाल ये साड़ियां बिक्री के लिए नहीं हैं। कोविड-19 स्थिति नियंत्रण में आने के बाद हम इनकी बिक्री शुरू करेंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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