रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस में आज की सुनवाई हुई पूरी, जानें प्रमुख बातें
अयोध्या केस में अब तक पहले और दूसरे दिन सर्वोच्च अदालत में निर्मोही अखाड़ा और रामलला के वकीलों ने अपने दलील रखी थी। जबकि तीसरे दिन राम लला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश की थी।
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही है। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या मामले में आठवें दिन की सुनवाई शुरू की। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने ‘राम लला विराजमान’ के वकील सी.एस वैद्यनाथन की दलीलें सुननी शुरू की। राम लला विराजमान’ के वकील ने ‘एएसआई’ की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि अयोध्या में मस्जिद का निर्माण करने के लिए हिंदू मंदिर गिराया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस वैद्यनाथन ने अदालत में कहा कि ‘एएसआई’ की रिपोर्ट में मगरमच्छ और कछुए की आकृतियों का जिक्र है, जिसका मुस्लिम संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष उन्होंने ‘एएसआई’ की रिपोर्ट से अन्य पुरातात्विक साक्ष्यों का हवाला देते हुए विवादित क्षेत्र में हिन्दू मंदिर होने के दावों को पुख्ता करने की कोशिश की।
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सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट में पाञ्चजन्य के एक रिपोर्टर की रिपोर्ट को पढ़कर कहा कि जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तो जो स्लैब वहां से गिर रही थीं, उनमें संस्कृत भाषा में कुछ लिखा हुआ था। रिपोर्टर ने इसकी तस्वीर भी खींची थी, बाद में पुलिस ने उन स्लैब को जब्त कर लिया था। रामलला के वकील के इस दावे पर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि वो स्लैब कहां मिले थे?
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रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा- एक मुस्लिम गवाह ने कहा कि हिंदुओं का मानना है कि जन्मस्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ और इसलिए उसकी पूजा करते हैं। मुस्लिम गवाह मुहम्मद यसीन ने कहा कि उसने मस्जिद में आखरी बार नमाज़ पढ़ी। उसने पढ़ते समय देखा था कि उन पत्थरों पर कमल और दूसरी तस्वीर है। जिस पर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि वह गवाह शिया था या सुन्नी?वैद्यनाथन ने जवाब दिया वह गवाह सुन्नी था। रामलला के वकील CS वैद्यनाथन ने कहा- एक मुस्लिम गवाह ने कहा था कि अगर मंदिर गिराकर मस्जिद बनाया गया होता तो मुस्लिम उसको मस्जिद नही मानेंगे. मस्जिद ज़बरदस्ती कब्ज़े में ली गई जमीन पर नही बनाई जा सकती है। दिगंबर अखाड़ा के महंत रामचंद्र दास के बयान में कहा गया कि 1934 में जब अयोध्या आए तब वहां दंगे हो रहे थे।
Ayodhya case: Senior advocate CS Vaidyanathan appearing for 'Ram Lalla Virajman' told Supreme Court that disputed structure was put in place either on the ruins of the temple or by pulling down the temple pic.twitter.com/Yg6AC0G0WN
— ANI (@ANI) August 20, 2019
इससे पहले सोमवार को सुनवाई का आठवां दिन था। लेकिन सुनवाई शुरू होने से कुछ मिनट पहले अदालत के कर्मचारियों ने दोनों पक्षों के वकीलों को बताया कि न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे आज मौजूद नहीं हैं। इसलिए मंगलवार को मामला आगे बढ़ा दिया गया। आज रामलला विराजमान के वकील सीएस. वैद्यनाथन एक बार फिर अदालत में अपनी दलील पेश करेंगे। बता दें कि 6 अगस्त से इस मामले को सर्वोच्च अदालत में रोजाना यानी हफ्ते में पांच दिन सुना जा रहा है।
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