बाबा साहब ने जातिवाद से मुक्त भारत के लिये आजीवन संघर्ष किया: कोविंद
कोविंद ने कहा कि उन्होंने अपने आदर्शों और कानून के शासन में अपनी आस्था को संविधान सभा की बैठकों में बेहद प्रभावी तरीके से अभिव्यक्त किया था।
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डॉ. बी आर आंबेडकर की जयंती पर देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि बाबा साहब आंबेडकर ने जातिवाद और पूर्वाग्रहों से मुक्त एक ऐसे भारत के लिये आजीवन संघर्ष किया, जहां महिलाओं और समाज के उपेक्षित लोगों को बराबरी के आधार पर आर्थिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त हों। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, “डॉ. बी आर आंबेडकर की जयंती के अवसर पर मैं अपने राष्ट्रीय जीवन की इस मूर्ति को सादर नमन करता हूं और सभी देशवासियों को तहे दिल से बधाई देता हूं।’’
उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे जिनका हमारे समाज और राष्ट्र पर प्रभाव आज भी प्रासंगिक है और हमेशा रहेगा। वह एक शिक्षाविद और अर्थशास्त्री, एक विद्वान और नीति शास्त्री, एक असाधारण विधिवेत्ता और संविधान विशेषज्ञ थे। कोविंद ने कहा कि बाबा साहब इन सबसे बढ़कर एक समाज सुधारक थे जिन्होंने महिलाओं को उचित अवसर प्रदान करने के लिए कार्य किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने एक बेहतर और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए आजीवन संघर्ष किया। एक ऐसा आधुनिक भारत जो जातिवाद और अन्य पूर्वाग्रहों से मुक्त हो, जहां महिलाओं और समाज के उपेक्षित लोगों को बराबरी के आधार पर आर्थिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त हों। कोविंद ने कहा कि उन्होंने अपने आदर्शों और कानून के शासन में अपनी आस्था को संविधान सभा की बैठकों में बेहद प्रभावी तरीके से अभिव्यक्त किया था। इसलिए उन्हें संविधान निर्माता माना जाता है जो भारत के गणराज्य के लिए एक प्रकाश स्तम्भ की तरह है।
उन्होंने कहा कि निजी जीवन में चुनौतियों का सामना करने के बावजूद डॉक्टर आंबेडकर के मन में किसी प्रकार की कटुता और द्वेश की भावना नहीं थी। सामाजिक, राजनीतिक और व्यवसायिक क्षेत्र में योगदान देने के कारण बाबा साहब सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ आइए हम इतिहास की इस महान विभूति तथा भारत के सच्चे सपूत के जीवन से प्रेरणा लें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ एक न्यायपूर्ण, समतावादी और विकसित भारत का निर्णाण करके ही हम उन्हें सर्वश्रेष्ठ श्रृद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं......एक ऐसा भारत जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था हो जिसे डॉ. आंबेडकर ने हमारे और हमारी भावी पीढ़ियों के लिए संविधान में आकार दिया और उसे स्पष्ट किया।”
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