मिलेगी बेल या बढ़ेगी कस्टडी? नवनीत राणा जमानत मामले में सोमवार को फैसला सुनाएगा कोर्ट

Navneet Rana
ANI
अभिनय आकाश । Apr 30 2022 5:56PM

दोनों की जमानत पर एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद नवनीत राणा और रवि राणा की जमानत पर कोर्ट का फैसला सोमवार को आएगा। आज ढाई घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

महाराष्ट्र के अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके पति व निर्दलीय विधायक रवि राणा फिलहाल जेल में हैं। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के ऐलान के बाद राणा दंपत्ति पर नियम उल्लंघन करने के जुर्म में गिरफ्तारी हुई और राजद्रोह की धारा भी लगाई गई। आज दोनों की जमानत पर एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद नवनीत राणा और रवि राणा की जमानत पर कोर्ट का फैसला सोमवार को आएगा। आज ढाई घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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नवनीत राणा के वकील ने कोर्ट से कहा कि ये केस बिना किसी बात का है और राणा दंपत्ति चुने हुए नेता हैं और कहीं नहीं भागेंगे। इसलिए उनकी आजादी उनसे नहीं छीनी जानी चाहिए। वकील ने कहा था कि पुलिस की तरफ से भी उनकी कस्टडी नहीं मांगी गई है। जिस वजह से दोनों न्यायिक हिरासत में हैं। इसके साथ ही राणा के वकील की तरफ से उनकी आठ साल की बच्ची का हवाला देते हुए कहा गया कि दनों पर कुछ शर्तें लगाई जा सकती हैं, लेकिन उनको आजाद किया जाना चाहिए। राणा दंपत्ति के वकील आबाद पोंडा ने तर्क दिा कि दोनों पति-पत्नी अकेले मातोश्री जाने की बात कही थी और उनके साथ कोई कार्यकर्ता भी नहीं था। हिंसा करने का कोई उद्देश्य भी नहीं था। इसके बावजूद भी प्रदर्शन को सरकार के खिलाफ बता दिया गया। 

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सरकारी पक्ष के वकील प्रदीप घरात ने कहा कि जिन धाराओं को लगाया गया है ये बहुत ही रेयर है। लोकतंत्र में हर किसी को आलोचना का अधिकार है लेकिन इसकी भी एक सीमा है। इस सीमा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। एहतियात बरतना चाहिए। जब ऐसी मर्यादा का उल्लंघन होता है तो राजद्रोह की धारा लगाई जाती है, 124 ए को कानून की किताब से निकाला नहीं गया है। । ये केस कभी नहीं था की हनुमान चालीसा पढ़ना गुनाह है। हर किसी को अधिकार है हनुमान चालीसा पढ़ने का। जांच अधिकारी ने कई सबूत इकठ्ठा किया है जो बहुत ही चौकाने वाले हैं। आरोपियों को कहा गया कि आप मातोश्री मत जाइये। कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है। आज्ञाकारी नागरिक को जब ये बताया जाता है तब वो नागरिक उसका पालन करता है। क्या इस केस में क्या ऐसा किया गया? हमारे पास सीडी और वीडियो है।  

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