इंद्रेश कुमार ने भिक्षावृत्ति की रोजगार से तुलना की, खड़ा हो गया विवाद

BEGGING IS ALSO A JOB! - RSS Functionary Indresh Kumar
[email protected] । Feb 15 2018 6:15PM

मोदी के पकौड़ा वाले बयान पर जारी राजनीति के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार के उस बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है जिसमें उन्होंने भिक्षावृत्ति की रोजगार से कथित तुलना की थी।

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पकौड़ा वाले बयान पर जारी राजनीति के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार के उस बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है जिसमें उन्होंने भिक्षावृत्ति की रोजगार से कथित तुलना की थी। मीडिया के एक तबके में सामने आयीं खबरों के मुताबिक कुमार ने यहां एक स्वयंसेवी संस्था के कार्यक्रम में 13 फरवरी को कथित तौर पर कहा था कि धार्मिक स्थलों पर भीख मांगना देश के 20 करोड़ लोगों का रोजगार है और जिन दिव्यांग लोगों को कहीं नौकरी नहीं मिलती, उन्हें धर्म रोजगार देता है।

इन खबरों पर सफाई देते हुए कुमार ने फोन पर आज कहा, "मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। इस बारे में मीडिया में जो खबरें सामने आयी हैं, वे गलत हैं।" उन्होंने कहा, "इंदौर के कार्यक्रम में मेरे बयान का आशय यह था कि समाज को सोचना चाहिये कि ​भीख मांगकर गुजारा करने वाले दिव्यांग लोग किस तरह सम्मान से जीवन-यापन कर सकते हैं। दुनिया के किसी भी तंत्र ने इन लोगों को रोजगार देने का रास्ता नहीं खोजा है।"

प्रधानमंत्री के पकौड़े वाले बयान को लेकर जारी राजनीति के बारे में पूछे जाने पर संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा, "जो लोग इस विषय पर राजनीति कर रहे हैं, वे देश के 20 करोड़ छोटे कारोबारियों का अपमान कर रहे हैं। इस विषय पर राजनीति नहीं की जानी चाहिये, क्योंकि देश के लिये छोटे रोजगार भी बेहद जरूरी हैं।" उन्होंने कहा कि चाय-पकौड़े बेचने वाले, जूते पॉलिश करने वाले और अन्य छोटे-मोटे काम करने वाले लोगों को हीन भाव से नहीं, बल्कि सम्मान से देखा जाना चाहिये। कुमार ने 13 फरवरी को यहां एक कार्यक्रम में कहा था, "पूरे इंदौर शहर में जितने भी धर्मों के तीर्थ हैं, वहां आपको ऐसा एक भी आदमी नहीं मिलेगा जो 40 साल से लगातार भीख मांग रहा हो।" 

उन्होंने कहा, "कोई भी भिखारी पांच-दस साल में 10-20 हजार रुपये जमा करने के बाद शहर छोड़ देता है और रेहड़ी लगाता है या सब्जी बेचने जैसा कोई छोटा-मोटा रोजगार शुरू कर देता है। लेकिन मेरे और आप जैसे बुद्धिजीवी लोग उस पर अपमानजनक कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि यह वही व्यक्ति है, जो पहले भीख मांगता था। नतीजतन उस व्यक्ति को अपना रोजगार बंद करना पड़ता है।" 

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