बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार के पोषण अभियान को अपनाने से किया इंकार: स्मृति

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[email protected] । Jul 17 2019 6:26PM

स्मृति ईरानी ने कहा कि देश में महिलाओं, बच्चों और किशोरियों में कुपोषण की स्थिति स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समय समय पर आयोजित सर्वेक्षण के तहत कवर किया जाता है।

नयी दिल्ली। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि पश्श्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार के पोषण अभियान को अपनाने से इंकार कर दिया है।उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि केंद्र से राजनीति मतभेद के बावजूद वह इस महत्वपूर्ण योजना को अपनाए।स्मृति ईरानी ने उच्च सदन में जद (यू) सदस्य कहकशां परवीन, सपा की जया बच्चन और अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यानाथ के एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में यह टिप्पणी की। यह ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पोषण अभियान के संदर्भ में, महिलाओं और बच्चों में कुपोषण से संबंधित मामलों से जुड़ा था।उन्होंने कहा कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल को स्मार्ट फोनों के लिए राशि दी और उन्हें अन्य उपकरण देने को भी तैयार है।

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लेकिन अब तक कोई राशि खर्च नहीं की गयी। स्मृति ईरानी ने कहा कि देश में महिलाओं, बच्चों और किशोरियों में कुपोषण की स्थिति स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समय समय पर आयोजित सर्वेक्षण के तहत कवर किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुपोषण की समस्या पर काबू के लिए उनका मंत्रालय कई योजनाओं का कार्यान्वयन कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2017-18 में तीन साल की अवधि के लिए 9046 करोड़ रूपए के बजट के साथ पोषण अभियान की शुरूआत की। इसमें सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल किया गया है।  इस अभियान का लक्ष्य देश में चरणबद्ध तरीके से कुपोषण को कम करना है। स्मृति ईरानी ने कहा कि पोषण पर काबू के लिए किए गए ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप देश में कुपोषण के स्तर में कमी आयी है।कहकशां परवीन ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कुपोषण का मूल कारण गरीबी और शिक्षा है। उन्होंने कहा कि गरीब दहेज के कारण अपनी बच्चियों की शादी कम उम्र में ही कर देते हैं।

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इससे कुपोषण को बढ़ावा मिलता है।जया बच्चन ने कहा कि कुपोषण की समस्या गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है। उन्होंने परिवार में बेटी-बेटे के बीच भेद होने का जिक्र करते हुए कहा कि इस मानसिकता को दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुपोषण पर काबू पाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर ही शुरूआत करनी होगी।विजिला ने कहा कि आंगनबाड़ी को मजबूत बनाए जाने और मंत्रालय के बजट में वृद्धि किए जाने की मांग की वहीं भाजपा की संपतिया उइके ने कहा कि कुपोषण के विषय को स्कूलों के पाठ्य-पुस्तकों में शामिल करना चाहिए और इस संबंध में समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए। कांग्रेस की अमि याज्ञनिक ने कहा कि कुपोषण पर काबू के लिए कई योजनाएं बनायी गयी हैं लेकिन वे जरूरतमंद लोगों तक ढंग से नहीं पहुंच पायी हैं। उन्होंने इस समस्या पर काबू के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाए जाने का सुझाव दिया। राजद के मनोज कुमार झा ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के भत्ते और वेतन में वृद्धि करने की मांग की। बसपा के वीर सिंह ने मध्याह्न भोजन योजना का दुरूपयोग होने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र से राशन मिलता है लेकिन वह जमीन पर पहुंच ही नहीं पाता।बीजद की सरोजिनी हेम्ब्रम, तृणमूल कांग्रेस की शांता छेत्री और वाईएसआर कांग्रेस के वी विजय साई रेड्डी ने भी कुपोषण की समस्या पर चिंता जतायी।

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