बेओंसी लैशराम बनीं नॉर्थ ईस्ट की पहली ट्रांसवूमन डॉक्टर, कोरोना के खिलाफ जंग में होंगी शामिल
बेओंसी लैशराम मणिपुर की पहली और एकमात्र ट्रांसवूमन डॉक्टर नहीं बल्कि उत्तर-पूर्व की पहली ट्रांसजेंडर डॉक्टर भी हैं। उन्होंने नूपी मानबी (ट्रांसवूमन) समुदाय के प्रति धारणा को हाशिए पर रखा है।
वैसे तो बेओंसी लैशराम अपने जीवन के दौर में एक योद्धा रही हैं, लेकिन कोविड योद्धा का टैग उन्हें सबसे अच्छा लगता है। इंफाल के एक निजी अस्पताल में 27 वर्षीय चिकित्सा अधिकारी बेओंसी लैशराम मणिपुर की पहली और एकमात्र ट्रांसवूमन डॉक्टर नहीं बल्कि उत्तर-पूर्व की पहली ट्रांसजेंडर डॉक्टर भी हैं। उन्होंने नूपी मानबी (ट्रांसवूमन) समुदाय के प्रति धारणा को हाशिए पर रखा है।
रिजीनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS), इंफाल की छात्रा रहीं बेओंसी कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा ले रही हैं। इम्फाल पश्चिम में काकवा लीफ्राकपम लीकाई से एक महामारी से लड़ने वाली डॉक्टर होने तक की यात्रा में उन्होंने जो कठिनाइयों का सामना किया, उसे अनदेखा करना आसान नहीं है। बेओंसी कहती हैं कि उन्हे हर दिन एक उपहार की तरह लगता है।
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उन्होंने बताया, मैं एक लड़का पैदा हुआ था, लेकिन जब मेरे नौवीं और दसवीं कक्षा में जाने पर उसमें मुझे मेल नहीं लिखा गया। मैंने 2011 में RIMS से एमबीबीएस किया। 2013 में मैंने अपना घर छोड़ने का फैसला लिया। मेरे पिता इतना परेशान हुए कि उन्होंने खुद को मारने का भी प्रयास किया।' टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार डॉ. बेओंसी ने 2016 में महसूस किया कि ऐसी लाइफ नहीं जी सकती है और फिर निर्णय लिया की खुद की पहचान नूपी मानबी के तौर पर की जाए। उन्होंने 2013 में अपना आधिकारिक नाम बेओंसी कर लिया।
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