भागवत ने गौ हत्या के खिलाफ राष्ट्रव्यापी कानून की मांग की
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज गौ हत्या के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी कानून की वकालत की और कहा कि इस ‘‘बुराई’’ का अंत होना चाहिये।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज गौ हत्या के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी कानून की वकालत की और कहा कि इस ‘‘बुराई’’ का अंत होना चाहिये। उन्होंने हालांकि गौ रक्षक समूहों द्वारा हिंसा की निंदा की और कहा कि इससे उद्देश्य की ‘बदनामी’ होती है। उन्होंने ‘‘कानून और संविधान का पूर्ण सम्मान करते हुये’’ ज्यादा लोगों को इस अभियान से जोड़कर गौ संरक्षण प्रयास को और आगे ले जाने की वकालत की।
भगवान महावीर की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में उनका यह बयान ऐसे वक्त आया जब भाजपा शासित राज्य राजस्थान के अलवर में कथित गौ रक्षकों द्वारा पीट-पीटकर एक युवक की हत्या को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार की घेराबंदी की है और भगवा पार्टी को रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया है। भागवत ने कहा, ‘‘गायों की रक्षा करते हुये ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिये जिससे कुछ लोगों की मान्यता आहत हो। ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिये जो हिंसक हो। इससे सिर्फ गौ रक्षकों के प्रयासों की बदनामी होगी..गायों के संरक्षण का काम कानूनों और संविधान का सम्मान करते हुये किया जाना चाहिये।’’ संघ प्रमुख ने कहा कि कई राज्यों में जहां संघ कार्यकर्ता (संघ की पृष्ठभूमि वाले भाजपा नेता) सत्ता में हैं उन्होंने ऐसा कानून बनाया है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि दूसरी सरकारें भी स्थानीय ‘‘जटिलताओं’’ से निपटते हुये ऐसा कानून बनायेंगी।
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारी इच्छा है कि पूरे देश में गौ हत्या के खिलाफ एक ही कानून होना चाहिये।’’ कई पूर्वोत्तर राज्यों में गौ हत्या प्रतिबंधित नहीं है, इनमें से वो राज्य भी शामिल हैं जहां भाजपा सत्ता में है, जबकि केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गौ मांस का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है जहां भाजपा मजबूत सियासी ताकत के तौर पर उभरने के लिये काम कर रही है। संघ प्रमुख ने सुझाव दिया कि राजनीतिक जटिलताओं की वजह से हर जगह ऐसा कानून लागू करने में समय लगेगा। अगर कोई कानून होगा तो वह हिंसा नहीं अहिंसा को बढ़ावा देने के लिये होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कोई कानून नहीं हो सकता जो कहे आप हिंसा कीजिये। यह असंभव है।’’ भागवत ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि जहां संघ कार्यकर्ता सत्ता में हैं, वो स्थानीय जटिलताओं से निपट कर इस दिशा में काम करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण को इस तरह बढ़ावा दिया जाना चाहिये कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस उद्देश्य से जुड़ें और ऐसा करने के लिये उनकी प्रशंसा हो। उन्होंने कहा कि अहिंसक प्रयासों से कानून को उसके मुताबिक बदलने में मदद मिलेगी।
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