आरक्षण मामले में भीम आर्मी के नेता आजाद ने भागवत को दी खुली बहस की चुनौती
दलित संगठन भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि आजादी के 73 वर्ष बाद 54 प्रतिशत दलितों के पास अपनी कोई जमीन नहीं है...आरक्षण व्यवस्था पर चर्चा का आह्वान कर आरएसएस ने अपनी दलित विरोधी मानसिकता को दिखाया है।
नयी दिल्ली। दलित संगठन भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने मंगलवार को आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को खुली बहस की चुनौती दी और कहा कि इसकी बजाए जाति व्यवस्था समाप्त करने पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि अनुसूचित जाति से जुड़े 54 प्रतिशत लोगों के पास देश में अपनी जमीन नहीं है, जबकि एक खास जाति का दबदबा है और उसे सारे अधिकार मिले हुए हैं। चंद्रशेखर ने कहा कि वह (भागवत) चाहते हैं कि मुद्दे पर उनके बीच चर्चा होनी चाहिए जो आरक्षण के खिलाफ हैं। मैं मीडिया और संबंधित पक्षों के सामने उन्हें बहस करने की चुनौती देता हूं। हम लोगों को बताना चाहते हैं, जो हमने (दलित) जाति व्यवस्था के कारण झेला है। उन्हें सभी आंकड़ों से लैस होकर आना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि आजादी के 73 वर्ष बाद 54 प्रतिशत दलितों के पास अपनी कोई जमीन नहीं है...आरक्षण व्यवस्था पर चर्चा का आह्वान कर आरएसएस ने अपनी दलित विरोधी मानसिकता को दिखाया है। चंद्रशेखर ने कहा कि अगर भागवत ने जाति व्यवस्था को खत्म करने का आह्वान किया होता तो भीम आर्मी इसका समर्थन करती। उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था ने देश को खोखला कर दिया है। भागवत को इस पर चर्चा करनी चाहिए।
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भीम आर्मी के प्रमुख ने कहा कि अगर सरकार ने आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास किया तो समुदाय के लोग सड़कों पर उतरेंगे। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म किए जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस बार हम (आरक्षण पर) निर्णय लेने के बाद बात नहीं करेंगे। इस बार, हम कुछ भी करने से पहले ही सड़कों पर उतरेंगे। आरएसएस प्रमुख भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि आरक्षण का समर्थन करने वालों और इसका विरोध करने वालों के बीच सौहार्द्रपूर्ण महौल में बातचीत होनी चाहिए।
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