समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र में मिलेंगे बड़े अवसर: अजीत डोभाल
इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राष्ट्रों की साझा सागर प्राथमिकताओं की पहचान करना है। डोभाल इसी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन दूसरी बार हो रहा है।
पणजी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले वक्त में समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर ऐसे तीन क्षेत्र होंगे, जिनमें राष्ट्रों को सर्वाधिक अवसरों के साथ साथ चुनौतियां भी मिलेंगी। डोभाल ने कहा कि भोगौलिक रूप से भारत कई मायनों में लाभ की स्थिति में हैं। उन्होंने अपने नजदीकी और दूरस्थ पड़ोसियों से कहा कि समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सभी को मिलकर काम करना चाहिए। पणजी में गुरुवार को ‘गोवा मेरिटाइम कॉन्क्वेल’ शुरू हुआ। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राष्ट्रों की साझा सागर प्राथमिकताओं की पहचान करना है। डोभाल इसी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन दूसरी बार हो रहा है।
इस सम्मेलन में दस देशों के नौसेना प्रमुख शामिल हुए। ये देश हैं-श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यामां, थाइलैंड, इंडोनेशिया, मॉरिशस, सेशल्स, सिंगापुर और मलेशिया। डोभाल ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘आने वाले वक्त में समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर ऐसे तीन क्षेत्र होंगे, जो सबसे बड़े अवसर देंगे लेकिन ये ही वह तीन क्षेत्र होंगे, जहां से सबसे गंभीर खतरे भी पैदा होंगे।’’ उन्होंने कहा कि देशों के समक्ष चुनौती यह है कि खतरों को किस तरह से कम से कम किया जा सके और अधिक से अधिक अवसरों का लाभ उठाया जा सके। डोभाल ने कहा, ‘‘ यही भावना हमें साथ लाती है। यह भावना है कि हम किस तरह अपनी शक्तियों को पहचानें और उन्हें साथ लाएं। ’’
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सम्मेलन में शिरकत करने वाले राष्ट्रों के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘ हम महत्वाकांक्षी देश हैं, जो क्षेत्र में शांति देखना चाहते हैं और देशों को तरक्की और विकास करते देखना चाहते हैं।’’ डोभाल ने कार्यक्रम में शामिल देशों को क्षेत्रीय समुद्री रणनीतियों में एक दूसरे का पूरक बताया और कहा, ‘‘ बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है लेकिन शायद हममें से कोई भी अकेला अपने दम पर उन्हें करने में सक्षम नहीं है, मगर हम मिलकर ये काम करने में सक्षम हैं।’’ उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इन देशों में से किसी का भी एक दूसरे के साथ कूटनीतिक संघर्ष नहीं है। डोभाल ने कहा कि नयी दिल्ली अपने पड़ोसियों के लिए उपयोगी बनना चाहती है।
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