ममता बनर्जी को बड़ी राहत, भवानीपुर सीट पर उपचुनाव का ऐलान, सीएम बने रहने का रास्ता साफ
अगर जल्द चुनाव नहीं कराए जाते तो ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता था। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग के पास 15 जुलाई को उपचुनाव की मांग के साथ अर्जी लगाई थी।
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की खाली पड़ी विधानसभा सीटों में से तीन और ओडिशा की एक सीट पर उपचुनाव कराने के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। मिली जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल की भवानीपुर, शमशेरगंज और जंगीपुर सीटों पर उपचुनाव होंगे। इसके साथ ही ममता बनर्जी के लिए बड़ी राहत की बात सामने आई है। ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा का सदस्य होना जरूरी है। तृणमूल कांग्रेस लगातार उपचुनाव की मांग कर रही थी। अब जब चुनाव आयोग ने उप चुनाव की घोषणा कर दी है ऐसे में ममता बनर्जी की मुश्किलें कम होती दिखाई दे रही हैं।
Schedule announced to fill casual vacancy and adjourned poll in the Assembly Constituencies - polling date 30.9.21 for bye-election in 159- Bhabanipur AC, 56-Samserganj, 58- Jangipur in WB and also 110-Pipli of Odisha @PIB_Indiahttps://t.co/e1Bu4yLBsu
— Spokesperson ECI (@SpokespersonECI) September 4, 2021
यह रहा पूरा कार्यक्रम
दरअसल, अगर जल्द चुनाव नहीं कराए जाते तो ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता था। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग के पास 15 जुलाई को उपचुनाव की मांग के साथ अर्जी लगाई थी। 30 सितंबर को पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव होगा। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी अपने इस पारंपरिक सीट से ही उप चुनाव लड़ेंगी। इसके लिए भवानीपुर की सीट खाली करा ली गई है। 30 सितंबर को होने वाले वोटिंग के नतीजे 3 अक्टूबर को आएंगे।
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ममता के लिए बेहद जरूरी था चुनाव
आपको बताते दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त तरीके से जीत हासिल की। ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं परंतु ममता बनर्जी अपनी सीट शुभेंदु अधिकारी से हार गईं। ममता बनर्जी नंदीग्राम से भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ रही थीं। नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को लगभग 2000 वोटों से शिकस्त दी। फिर भी तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी को विधायक दल का नेता चुना। 4 मई को ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री की शपथ ली। लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अगले 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी था। इसी वैधानिक बाध्यता को पूरा करने के लिए भवानीपुर सीट खाली कराया गया था। लेकिन कोरोना संकट गहराने लगा और चुनाव में देरी हुई।
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