बिहार के मंत्रियों ने की राज्य के पुनर्निर्माण के लिए 'इंजीनियर' नीतीश की जमकर तारीफ

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बिहार के मंत्रियों ने दावा किया कि नीतीश ने पिछले 15 वर्षों में बिहार का पुनर्निर्माण किया है जो 2005 में उनके सत्ता संभालने से पहले बुरी स्थिति में था। पहले राज्य में लोग अपने घरों में बिजली की आपूर्ति के लिए इंतजार करते थे, खासकर ग्रामीण इलाकों में और लालटेन का उपयोग करने के लिए मजबूर थे।

पटना। बिहार के मंत्री संजय कुमार झा और अशोक चौधरी ने पिछले 15 वर्षों में राज्य के पुनर्निर्माण के लिए इंजीनियर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना की है। संजय और अशोक ने मंगलवार को ‘इंजीनियर दिवस’ के अवसर पर इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले नीतीश की प्रशंसा करते हुए उक्त बात कही। दोनों मंत्रियों ने दावा किया कि नीतीश ने पिछले 15 वर्षों में बिहार का पुनर्निर्माण किया है जो 2005 में उनके सत्ता संभालने से पहले बुरी स्थिति में था। उन्होंने कहा कि राजद ने 1990 से 2005 तक अपने पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद और फिर उनकी पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व में बिहार पर शासन किया। नवंबर 2005 में, राजग ने राजद को सत्ता से बेदखल कर दिया था और नीतीश ने तब से राज्य को सँभाला है, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू को करारी हार मिलने की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। बिहार में सत्तारूढ़ जदयू, जिसके संजय झा राष्ट्रीय महासचिव भी हैं, प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश जो 2005 में राज्य में सत्ता में आए थे, के 15 साल के शासन बनाम लालू-राबड़ी शासन के डेढ़-डेढ़ दशक के शासन की तुलना करते हुए कहा कि राजद के शासनकाल में औसत विकास दर लगभग 3.19 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 11.3 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्य की 22 फीसदी आबादी के पास ही राजद के शासनकाल में बिजली की पहुंच थी, लेकिन अब सभी घरों में बिजली कनेक्शन है। नीतीश के विश्वासपात्र संजय ने बिहार में बिजली के परिदृश्य पर बात करते हुए कहा, पहले राज्य में लोग अपने घरों में बिजली की आपूर्ति के लिए इंतजार करते थे, खासकर ग्रामीण इलाकों में और लालटेन का उपयोग करने के लिए मजबूर थे। लेकिन अब गांवों में एक दिन के 24 घंटे में से 22 घंटों तक के लिए बिजली की आपूर्ति है। उन्होंने कहा, लालटेन (राजद का चुनाव चिह्न) की मदद से बिहार में विकास की तलाश करने की कोई जरूरत नहीं है। आज .... हर गाँव में एलईडी लाइट्स के नीचे प्रगति साफ दिख रही है। संजय ने दावा किया कि नीतीश के नेतृत्व में पिछले 15 वर्षों में बिहार के बजट का आकार राजद के शासनकाल के मुकाबले आठ गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 2005-06 में बजट का आकार 23,885 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 2,11,761 करोड़ रुपये हो गया है। जल संसाधन मंत्री संजय ने कहा कि राजद के कार्यकाल में बिहार में औद्योगिक विकास दर शून्य थी जो अब 17 प्रतिशत है। 

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उन्होंने ने कहा कि जल संसाधन विभाग में 1979 से कोई नया सहायक अभियंता (मैकेनिकल) नियुक्त नहीं किया गया था। अब 41 वर्षों के बाद सरकार ने उनमें से 615 लोगों की भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की है।  संजय ने कहा कि कोरोनो वायरस संक्रमण की वजह से लॉकडाउन के कारण विभिन्न समस्याओं के बावजूद इस मानसून में बाढ़ से पहले तटबंधों के रिसाव या मरम्मत की कुल 388 योजनाएं पूरी हुईं। पहली बार तटबंधों को मजबूत करने के लिए लोहे की चादर और बैगिंग का इस्तेमाल किया गया। यह बताते हुए कि 1960 से 2005 के बीच बिहार में कोई नया इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोला गया था, उन्होंने कहा कि नीतीश के प्रयासों के कारण अब हर जिले में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज और एक महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है। राज्य के हर अनुमंडल में भी आईटीआई हैं। राजद के शासन और नीतीश शासन की तुलना करते हुए संजय ने कहा कि लालू-राबड़ी शासन के दौरान बिहार में केवल 34 प्रतिशत मेटलिक सड़कें थीं जो अब 97 प्रतिशत हैं। बिहार में बुनियादी ढांचे के विकास का उल्लेख करते हुए उन्होंने दावा किया कि 1962 से 2005 के बीच राज्य में गंगा के ऊपर केवल चार पुल बनाए गए थे। लेकिन 2005 में नीतीश के सत्ता में आने के बाद से कुल 11 नए पुल अलग-अलग नदियों पर स्वीकृत किए गए हैं जिनमें से दो पूर्ण हो चुके हैं। संजय ने कहा कि राजद शासन के दौरान कोसी नदी पर केवल तीन पुल थे। 2005 में इस पर छह पुलों को मंजूरी दी गई थी और उनमें से तीन पुल पहले से ही कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इससे पहले बिहारी शब्द मजाक के तौर इस्तेमाल होता था। पिछले 15 वर्षों में, बिहार ने एक सम्मानजनक पहचान अर्जित की है। भवन निर्माण मंत्री अशोक ने कहा, राज्य के एक इंजीनियर मुख्यमंत्री पर गर्व है जिन्होंने पिछले 15 वर्षों में राज्य का पुनर्निर्माण किया है। नीतीश ने 1973 में बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग जो बाद में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना बन गया, से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। नीतीश पर लिखित पर किताबों के अनुसार वह अपनी औपचारिक पढ़ाई पूरी करने के बाद रांची में बिहार राज्य बिजली बोर्ड में सहायक इंजीनियर के रूप में भर्ती हुए। हालांकि, राजनीति के प्रति उनके जुनून ने उन्हें इससे दूर कर दिया।

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