NDA-2 के मंत्रीमंडल में बिहार का बढ़ेगा प्रतिनिधित्व!

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अभिनय आकाश । May 28 2019 11:01AM

वर्ष 1999 की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बिहार से 13 मंत्री थे। वहीं, वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में बिहार से यूपीए के 28 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे तो 12 सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान मिला था।

पटना। बिहार ने नरेंद्र मोदी और राजग को अपना अपार समर्थन दिया है। ऐसे में कयास यह लगाए जा रहे हैं कि नरेंद्र मोदी इसका तोहफा बिहार के नेताओं को मंत्री बना कर दे सकते हैं। केंद्र में बनने वाली नरेंद्र मोदी नीत सरकार में कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है। कुछ अनुभवी और बड़े नेताओं के साथ इसका तालमेल रखा जाएगा। बिहार में करीब दस साल बाद केंद्रीय मंत्री परिषद में बिहार से 10 सांसदों को जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है। बिहार में इस बार भाजपा के साथ लोजपा और जदयू भी रही है। इसलिए मंत्रालय के वितरण में भाजपा कोटे से मंत्रियों की संख्या कम हो सकती है। वहीं एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का दावा लोजपा भी अंदरखाने कर रही है।

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सीटों का बंटवारा भाजपा-जदयू में बराबर-बराबर हुआ था इसलिए यह माना जा रहा है कि मंत्री परिषद में बिहार में ऐसा ही कुछ तालमेल देखने को मिलेगा। इस कारण बिहार से भाजपा कोटे के मंत्री कम हो सकते है। कुशवाहा और दलित चेहरे को भी मंत्री बनाये जाने की चर्चा जोरों पर है। मंत्रीमंडल के गठन के वक्त जातीय समीकरण का भी ध्यान रखा जाए। बिहार से जीतने वाले राजग सांसदों में भाजपा के 17, जदयू के 16 और लोजपा के छह सांसद शामिल हैं। 17 भाजपा सांसदों में रविशंकर प्रसाद, राधा मोहन सिंह, अश्वनी चौबे, गिरिराज सिंह, रामकृपाल यादव और आरके सिंह जैसे छह सांसद पहले से ही केंद्रीय मंत्री हैं। जिसमें से कुछ की जगह 2 नए चेहरों पर तरजीह दी जा सकती है।

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जदयू कोटे से मंत्री बनने वालों के नाम वरिष्ठ नेताओं की सलाह के बाद नीतीश कुमार तय करेंगे। राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और शरद यादव को पटखनी देने वाले दिनेश चंद्र यादव की मंत्री परिषद में प्रबल दावेदारी बन रही है। लोजपा कोटे से इस बार रामविलास की जगह उनके पुत्र चिराग पासवान को मंत्री बनाया जा सकता है वहीं पशुपति पारस को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। 

मंत्रीमंडल में बिहार का कब-कब कितना रहा है प्रतिनिधित्व 

वर्ष 1999 की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बिहार से 13 मंत्री थे। वहीं, वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में बिहार से यूपीए के 28 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे तो 12 सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान मिला था। लेकिन 2009 में बनी यूपीए 2 की सरकार में बिहार का कोई प्रतिनिधत्व नहीं रहा। अंतिम वक़्त में तारिक अनवर को केंद्रीय मंत्री परिषद में शामिल किया गया। लेकिन उस वक़्त वो महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राजग ने 31 सीटें जीती थी तो मोदी कैबिनेट में बिहार से आठ मंत्री थे। इस लिहाजे से 2019 में 39 सांसदों की जीत के आधार पर यह माना जा रहा है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में 10 मंत्री बन सकते हैं। संख्या बल के हिसाब से यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि बिहार को इस बार रेलवे, संचार, कृषि, ऊर्जा, ग्रामीण विकास जैसे अहम मंत्रालय मिल सकते हैं।

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