पर्रिकर की पणजी सीट को कब्जाने के लिये भाजपा और कांग्रेस ने बहाया पसीना

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[email protected] । May 16 2019 2:35PM

कुनकोलिनकर कांग्रेस के एतानासियो मोनसेरेटे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं जो इससे पहले पर्रिकर और दिगंबर कामत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

पणजी। गोवा में लोकसभा की दो सीटों पर मतदान संपन्न होने के बाद प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस राज्य की पणजी विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए मुकाबले की तैयारी में हैं। इस सीट से प्रदेश के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर विधायक थे। मार्च में पर्रिकर के निधन के बाद यहां उपचुनाव कराना जरूरी था। दिवंगत मुख्यमंत्री के बेटे उत्पल को टिकट देने से इनकार करने के बाद भाजपा ने इस सीट से पूर्व विधायक सिद्धार्थ कुनकोलिनकर को चुनाव मैदान में उतारा है। कुनकोलिनकर इस सीट से 2015 और 2017 के विधानसभा चुनाव जीता था जब पर्रिकर केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे।

कुनकोलिनकर कांग्रेस के एतानासियो मोनसेरेटे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं जो इससे पहले पर्रिकर और दिगंबर कामत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2017 गोवा विधानसभा चुनावों में कुनकोलिनकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुना लड़ रहे मोनसेरेटे को हराया था, उन्हें (मोनसेराट को) इस सीट पर कांग्रेस का समर्थन था। पर्रिकर करीब 25 साल से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। पर्रिकर जैसे कद्दावर नेता की अनुपस्थिति में भाजपा इस चुनाव को जीतने के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।

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मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत राज्य की राजधानी में चुनाव प्रचार कर रहे हैं और कई मौकों पर वह सुबह मीरमार बीच पर लोगों के साथ मेल-जोल करते नजर आते हैं। दोनों को पार्टियों इस सीट पर जीत का भरोसा है। कांग्रेस को इस सीट से उत्पल को चुनाव मैदान में नहीं उतारने के भाजपा के फैसले से लाभ मिलता दिख रहा है वहीं कुनकोलिनकर को पर्रिकर की विरासत और भाजपा सरकार द्वारा किये गये विकास कार्यों पर भरोसा है। गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने बताया, ‘‘अगर उत्पल चुनाव मैदान में होते तो हमारे लिये मुश्किल होती। ऐसा नहीं था कि हम चुनाव हार जाते लेकिन कठिनाई का स्तर जरूर बढ़ जाता। अब हमारे लिये इस सीट को जीतना अधिक आसान हो गया है।’’

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