विधायकों के बागी तेवर के बाद अब होगी किलेबंदी, भाजपा का ये होगा एक्शन प्लान

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दो विधायकों के बागी हो जाने के बाद अब भाजपा विधायकों की किलेबंदी की जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी मीटिंग में तय हुआ है कि नारायण त्रिपाठी और शरद कौल से बातचीत की जाएगी

मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार के दिए एक विधेयक पर मतविभाजन के दौरान विपक्षी दल के विधायकों ने कमलनाथ सरकार के समर्थन पर वोट किया। जिसके बाद से लगातार भाजपा खेमे में उठापटक की स्थिति देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि बुधवार देर रात से लेकर गुरुवार दोपहर तक पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश भाजपा इकाई अध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, संगठन महामंत्री सुहास भगत समेत कई नेताओं के साथ बैठकें की। बैठक के तुरंत बाद ही राज्य के हालाकों का ब्यौरा आलाकमान को देने के लिए शिवराज सिंह चौहान दिल्ली के लिए रवाना हो गए। 

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शिवराज सिंह चौहान से काफी खफा रहे। क्योंकि दो विधायक जब कांग्रेस के संपर्क में जा रहे थे उस वक्त पार्टी की प्रदेश इकाई के कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। जिन दो नेताओं ने अपनी पार्टी के खिलाफ ही वोट किया उनमें मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्यौहारी से विधायक शरद कौल शामिल हैं।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नारायण त्रिपाठी ने चार दिन पहले गोपाल भार्गव से फोन पर बातचीत की थी, उसके बाद उनका फोन बंद आ रहा था और शिवराज सिंह ने आलाकमान को इन्हीं तमाम बातों का पूरा ब्यौरा दिया। साथ ही कहा कि बागी हुए दोनों विधायक मूलरूप से कांग्रेसी ही थे लेकिन क्या यह मुमकिन हो सकता है क्योंकि मैहर से जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।

बागी हुए नेता आखिर हैं कौन?

नारायण त्रिपाठी: सतना जिले के मैहर विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले नारायण त्रिपाठी ने अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ा और जीता भी। क्योंकि मैहर विधानसभा का इतिहास यह कहता है कि कोई प्रत्याशी किसी एक पार्टी से दोबारा विधानसभा नहीं पहुंचा है। साल 2018 में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने वाले त्रिपाठी ने कांग्रेस के श्रीकांत चतुर्वेदी को 3,800 वोट से हराया था। 

मैहर सीट से अलग-अलग पार्टियों के जरिए प्रतिनिधित्व करने वाले नारायण त्रिपाठी ने साल 2003 में समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता भी था, लेकिन साल 2008 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार उनकी लड़ाई भाजपा प्रत्याशी मोतीलाल तिवारी से थी। यूं तो नारायण त्रिपाठी की पकड़ मैहर में अच्छी खासी है लेकिन वहां पर कभी भी किसी एक दल से प्रत्याशी दोबारा चुन कर नहीं आया और इसका उदाहरण आप सभी के सामने हैं।

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समाजवादी पार्टी छोड़ नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली और साल 2013 के विधानसभा चुनाव में त्रिपाठी ने रमेश पांडेय को हराया था। हालांकि बाद में पार्टी के साथ अनबन की खबरें आई थी और वजह स्पष्ट नहीं हो पाई। लोकसभा चुनाव की तारीख भी करीब आ गई और देखते ही देखते 8 अप्रैल 2014 के दिन त्रिपाठी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का हाथ थाम लिया। फिर 2016 के उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी बनकर कांग्रेस के मनीष पाटिल को लगभग 28 हजार मतों से हरा दिया।

शरद कौल: बागी विधायकों में दूसरा नाम ब्यौहारी से शरद कौल का है। शरद कौल ने भी भाजपा के खिलाफ विधानसभा में वोट दिया। जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि बागी विधायकों ने अपने आत्मा की आवाज सुनी है। साल 2018 में शरद कौल भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के रामपाल स‍िंह 32,450 वोटों से हराकर विधानसभा पहुंचे थे।

आदिवासी बहुल इलाकों में से एक ब्यौहारी शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है और वह शहडोल जिला के अंतर्गत आता है। यूं तो ब्यौहारी लगातार खुद को जिला बनाने जाने की लड़ाई लड़ता आया है। जिसमें नेताओं के योगदान को भी नहीं भूलना चाहिए। 

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भाजपा पर गिर सकती है गाज

बागी हुए दो विधायकों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इशारों ही इशारों में भाजपा की चुटकी ले ली और कहा कि अभी भाजपा के और भी विधायक उनके संपर्क में है। जिसके बाद भाजपा में तुरंत ही बैठकों का दौर शुरू हो गया। शिवराज सिंह चौहान के बाद प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी दिल्ली पहुंचे। वहीं दूसरी तरफ कम्प्यूटर बाबा ने दावा किया कि चार भाजपा विधायक उनके संपर्क में हैं। बस कमलनाथ द्वारा निर्देश दिए जाने की देरी है जैसे ही वहां से जवाब मिलेगा हम चारों विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा देंगे।

भाजपा विधायकों की होगी किलाबंदी

दो विधायकों के बागी हो जाने के बाद अब भाजपा विधायकों की किलेबंदी की जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी मीटिंग में तय हुआ है कि नारायण त्रिपाठी और शरद कौल से बातचीत की जाएगी। इसके अतिरिक्त पार्टी उन नेताओं की किलेबंदी करने वाली है जो कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और विधायक बने हैं। इसी बीच प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने कांग्रेस पर दलाली का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी तो बागी विधायकों से जरूर बातचीत करेगी।

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