राज्य के ध्वज पर भाजपा सरकार का रुख कन्नड लोगों के खिलाफ है: सिद्धारमैया

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[email protected] । Aug 30 2019 6:19PM

कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री के लिए राज्य ध्वज का विरोध करना गलत है। संविधान और कोई कानून राज्य का अपना झंडा होने से नहीं रोकता। भाजपा सरकार का रुख कन्नड लोगों के खिलाफ है।

बेंगलुरु। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के अलग झंडे के लंबित प्रस्ताव केंद्र के समक्ष नहीं उठाने की भाजपा सरकार की मंशा कन्नड़ लोगों की भावनाओं के खिलाफ है। राज्य के अलग झंडे का प्रस्ताव तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2018 में केंद्र को मंजूरी के लिए भेजा था। इस सरकार का नेतृत्व स्वयं सिद्धारमैया कर रहे थे। कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया कि कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री के लिए राज्य ध्वज का विरोध करना गलत है। संविधान और कोई कानून राज्य का अपना झंडा होने से नहीं रोकता। भाजपा सरकार का रुख कन्नड लोगों के खिलाफ है।

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सिद्धरमैया ने अपने ट्वीट में संस्कृति मंत्री सीटी रवि और भाजपा को टैग किया है। राज्य के कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री सीटी रवि ने गुरुवार को कहा था कि तिरंगा देश का एकमात्र संवैधानिक ध्वज है। उन्होंने कहा था कि ध्वज संहिता में स्पष्ट है कि देश के लिए एक ही झंडा होगा। सांस्कृतिक ध्वज अलग हैं और संवैधानिक ध्वज अलग है। तिरंगा एकमात्र संवैधानिक ध्वज है। सांस्कृतिक झंडा का कोई विरोध नहीं है लेकिन संवैधानिक रूप से एक ही झंडा है और वह तिरंगा है। सिद्धरमैया ने कई ट्वीट की श्रृंखला में कहा कि क्या हम प्रांतीयगान को स्वीकार नहीं कर रहे हैं? क्या किसी तरह से राष्ट्रगान का अपमान किया जा रहा है? हम केवल राष्ट्रीय ध्वज से नीचे अन्य झंडे फहराना चाहते हैं और यह हमारी जिम्मेदारी होगी।

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उन्होंने कहा कि डॉ. पाटिल पुत्तप्पा सहित कई कन्नड कार्यकर्ताओं ने राज्य ध्वज की मांग की है। विशेषज्ञ समिति ने इसका अध्ययन किया और झंडे का प्रारूप तैयार किया जो केंद्र की मंजूरी के लिए जमा किया गया है लेकिन अब राज्य सरकार विरोध कर रही है। यह निंदनीय है। कर्नाटक की ओर से केंद्र की मंजूरी के लिए जो ध्वज भेजा गया है उसे ‘नाडा ध्वजा’ नाम दिया गया है जिसपर पीले, सफेद और लाल रंग की पट्टी बनी हुई है और बीच में राज्य चिह्न ‘गंदबेरूंदा’ बना हुआ है।

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