अटल अस्थि कलश यात्रा नहीं, भाजपा के लिए राजनीति चमकाओ यात्रा है
पिछले सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की आयु में AIIMS में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकिय सम्मान के साथ किया गया।
पिछले सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की आयु में AIIMS में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकिय सम्मान के साथ किया गया। भाजपा कार्यालय से स्मृति स्थल तक के उनके अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा के आला नेता पैदल चल के गए। पर इसके बाद जो हो रहा है वह कहीं ना कहीं राजनीति से प्रेरित लग रहा है।
फिलहाल भाजपा देशभर में अटल अस्थि कलश यात्रा निकाल रही है जिसको सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को लगा दिया गया है। सबसे पहले 19 अगस्त को अमित शाह और राजनाथ सिंह की मौजूदगी में हरिद्वार में अस्थि कलश को प्रवाहित किया गया। यहां तक तो ठीक था पर अब हर राज्य में ब्लॉक स्तर तक अटल बिहारी वाजपेयी की मौत को भुनाने में भाजपा लग गई है। जी हां..अब हर राज्य के ब्लॉक स्तर तक अटल अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएगी।
22 अगस्त को सभी राज्यों के भाजपा अध्यक्षों को अटल जी के अस्थि कलश को सौंपा गया। इसके बाद सभी राज्यों में अस्थि कलश यात्रा निकाली जाएगी और फिर अस्थि कलश को प्रवाहित कर दिया जाएगा। पर सवाल यह उठता है कि क्या यह जरूरी था? शायद हम और आप यही कहेंगे कि नहीं। पर हम सब को पता है कि भाजपा अटल-आडवाणी वाली नहीं रही, अब यह मोदी-शाह की भाजपा है जहां राजनीति करने के मौकों को छोड़ने की गुंजाइश ना के बराबर है। ऐसे में अगर चुनावी साल हो तो भाजपा कहां रूकने वाली। वाजपेयी जी सर्व स्वीकार्य जननेता थे और इस लिए उनको भुनाना भाजपा के लिए फायदे का सौदा है। आपको बता दें कि इस साल के अंत में चार राज्यों में चुनाव होने के साथ-साथ अगले साल आम चुनाव भी होने वाले हैं।
अटल जी के निधन से पहले मध्य प्रदेश में जन आशीर्वाद यात्रा और राजस्थान में गौरव यात्रा जोरों पर थी पर जैसे सी अटल जी का निधन हुआ, भाजपा ने इन यात्राओं को किनारे कर अब अटल अस्थि कलश यात्रा को भुनाया जा रहा है। अटल अस्थि कलश यात्रा पर अब विपक्ष के साथ साथ अटल जी की भतीजी भी सवाल उठा रहे हैं।
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