भाजपा नेता ने की जिन्ना टॉवर का नाम बदलने की मांग, कहा- डॉ कलाम के नाम पर रखा जाना चाहिए नाम
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव वाई सत्य कुमार ने कहा कि जिन्ना टॉवर का नाम डॉ कलाम या फिर मिट्टी के पुत्र एक महान दलित कवि गुरराम जशुवा के नाम पर क्यों नहीं रखा जाना चाहिए ? उन्होंने जिन्ना टॉवर का फोटो साझा करते हुए एक ट्वीट में लिखा कि इस टावर का नाम जिन्ना और क्षेत्र का नाम जिन्ना केंद्र है।
हैदराबाद। भाजपा ने आंध्र प्रदेश सरकार से पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर रखे गए गुंटूर के जिन्ना टॉवर का नाम बदलने की मांग की है। आपको बता दें कि गुंटूर शहर में महात्मा गांधी रोड पर साल 1945 में एक लंबा स्मारक बनाया गया था, जिसे 'जिन्ना टॉवर' नाम दिया गया था और अब इसी टॉवर को लेकर विवाद छिड़ गया है। जहां विधानसभा चुनाव के चलते उत्तर प्रदेश में जिन्ना एक मुद्दा बना हुआ है, वहीं दूसरी तरफ अब आंध्र प्रदेश में भी बहस छिड़ गई है।
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भाजपा के राष्ट्रीय सचिव वाई सत्य कुमार ने कहा कि जिन्ना टॉवर का नाम डॉ कलाम या फिर मिट्टी के पुत्र एक महान दलित कवि गुरराम जशुवा के नाम पर क्यों नहीं रखा जाना चाहिए ? उन्होंने जिन्ना टॉवर का फोटो साझा करते हुए एक ट्वीट में लिखा कि इस टावर का नाम जिन्ना और क्षेत्र का नाम जिन्ना केंद्र है। विडंबना यह है कि यह पाकिस्तान में नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर शहर में है। एक ऐसा केंद्र जो आज भी भारत के गद्दार का नाम लेता है। इसका नाम डॉ कलाम या मिट्टी के पुत्र एक महान दलित कवि गुरराम जशुवा के नाम पर क्यों नहीं रखा जाना चाहिए ? एक विचार है !This tower is named after Jinnah & area as Jinnah Centre
— Y. Satya Kumar (@satyakumar_y) December 30, 2021
Irony,it’s not in Pakistan but in Guntur City of AP.
A centre that still carries the name of traitor of India.
Why shouldn’t it be named after Dr Kalam or son of the soil,a great Dalit poet,Gurram Jashuva?
Just an idea! pic.twitter.com/69tgWRsIMb
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उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि पाकिस्तान सरकार जिन्ना सेंटर को ऐतिहासिक स्मारक और शांति का प्रतीत बताता है। यह शर्म का प्रतीक है। शर्म की बात है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण हम 75 साल की आजादी के बावजूद इस टावर को बरकरार रखते हैं! भारत के युवाओं को तय करने दें कि इसे बनाए रखना है या ध्वस्त करना है।
Look at @GovtofPakistan tweet which calls Jinnah Centre as landmark monument & Symbol of Peace.
— Y. Satya Kumar (@satyakumar_y) December 30, 2021
Its a ‘Symbol of Shame’. A shame that due to vote bank politics, we continue to hv this tower despite 75 years of freedom!
Let youth of India decide whether to retain or demolish it. https://t.co/w3uiJUbZ6P pic.twitter.com/vvMXEydJhd
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