भाजपा का वोट प्रतिशत गिरा, लेकिन पूरी तरह से कांग्रेस के पाले में नहीं गया

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[email protected] । Dec 12 2018 6:48PM

अगर इन विधानसभा चुनावों के मत प्रतिशत की तुलना 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से करें तो यह भाजपा के लिए बड़ी हार बताते हैं, क्योंकि इसने इन तीनों राज्यों की 65 लोकसभा सीटों में से 62 पर फतह हासिल की थी।

नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने हिन्दी पट्टी के तीन अहम राज्यों को भले ही कांग्रेस के हाथों गंव दिया हो, लेकिन उसका वोट पूरी तरह से सबसे पुरानी पार्टी के पाले में नहीं गया। कुछ अन्य पार्टियों और निर्दलियों ने अपने मत प्रतिशत में बढ़ोतरी की है। रोचक बात है कि मध्य प्रदेश में भाजपा का मत प्रतिशत कांग्रेस से थोड़ा अधिक ही रहा जबकि राजस्थान में कांग्रेस का वोट प्रतिशत थोड़ा अधिक है। अगर इन विधानसभा चुनावों के मत प्रतिशत की तुलना 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से करें तो यह भाजपा के लिए बड़ी हार बताते हैं, क्योंकि इसने इन तीनों राज्यों की 65 लोकसभा सीटों में से 62 पर फतह हासिल की थी।

तेलंगाना और मिजोरम में, क्षेत्रीय पार्टियों की जीत हुई है। 2014 के बाद यह कई राज्यों में देखने में आया है कि गैर-भाजपा और गैर कांग्रेसी पार्टियों की अच्छी मौजूदगी है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ये क्षेत्रीय क्षत्रप 2019 के लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गैर भाजपा पार्टियों को एक साथ लाकर एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कवायद भी चल रही है।


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छत्तीसगढ़ में देखें तो, कांग्रेस को इन चुनाव में 43 फीसदी वोट मिला जो 2013 के विधानसभा में प्राप्त हुए 40.3 प्रतिशत और 2014 के आम चुनाव में मिले 38.37 फीसदी से ज्यादा है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से महज एक पर जीत नसीब हुई थी। इसकी तुलना में, भाजपा की बड़ी हार हुई है, क्योंकि पार्टी को 2013 में 41 फीसदी वोट मिले थे जो इस बार गिरकर 33 प्रतिशत रह गए। वहीं, 2014 के आम चुनाव में भाजपा को लगभग 49 प्रतिशत वोट मिले थे और इसने राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से 10 पर जीत हासिल की थी।

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मत प्रतिशत का विश्लेषण बताता है कि कुछ छोटी पार्टियों और निर्दलियों ने ज्यादा मत हासिल किए हैं। 2013 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 4.3 प्रतिशत मत मिले थे, मगर इस बार मायावती की पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से गठबंधन किया और इन्हें 11.5 फीसदी वोट हासिल हुए। यह राज्य में तीसरी बड़ी ताकत है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। जहां 2013 में उन्हें 5.3 प्रतिशत मत मिले थे, वहीं उन्हें इस बार 5.9 फीसदत वोट मिले हैं।

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