बंबई उच्च न्यायालय ने तट पर जमा कचरे के निस्तारण के बारे में पूछा
समुद्र में ऊंची लहरें उठने के दौरान तट पर मलबे का अंबार लगने की घटना को ‘गंभीर’ बताते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने आज महाराष्ट्र सरकार और शहर के नगर निकाय से समस्या के समाधान के बारे में पूछा।
मुंबई। समुद्र में ऊंची लहरें उठने के दौरान तट पर मलबे का अंबार लगने की घटना को ‘गंभीर’ बताते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने आज महाराष्ट्र सरकार और शहर के नगर निकाय से समस्या के समाधान के बारे में पूछा। न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति रियाज छागला की पीठ गैर सरकारी संगठन सिटिजंस सर्किल फोर सोशल वेलफेयर एंड एडुकेशन की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में संबंधित प्राधिकारों को कचरा और मलबा निपटान तथा समुद्र में इसके निस्तारण पर दिशा-निर्देश की मांग की गयी है।
याचिकाकर्ता के वकील शहजाद नकवी ने अदालत के समक्ष उल्लेख किया कि इस महीने ऊंची लहरें उठने के दौरान दक्षिण मुंबई में मरीन ड्राइव के पास अरब सागर ने 9,000 टन मलबा और कचरा किनारे फेंक दिया। अदालत ने कहा, ‘यह गंभीर मुद्दा है। इसका क्या समाधान है? समुद्र में कचरा, मलबा सीवेज का गंदा पानी बहा दिया जाता है। नगर निकाय को इस बारे में जरूर कुछ करना होगा।’
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) द्वारा पिछले साल अक्तूबर में सौंपी गयी एक रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पीठ ने कहा कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) समुद्र में बड़ी मात्रा में बिना शोधित सीवेज बहा रहा है। न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक हर दिन 26.71 करोड़ लीटर गंदे पानी में से 20.16 करोड़ लीटर गंदे पानी का आठ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में निस्तारण होता है। बाकी 65.5 करोड़ लीटर गंदा पानी विभिन्न जगहों पर सीधे समुद्र में बहा दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘मरीन ड्राइव की हालिया घटना दिखाती है कि समुद्र में इतनी बड़ी मात्रा में बिना शोधित पानी बहा देने से प्रदूषण फैल रहा है।’ अदालत ने मुद्दे से निपटने के लिए उठाए गए कदम के बारे में बीएमसी और राज्य के पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को 10 अगस्त तक अपना-अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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