ओडिशा में कोविड-19 से निपटने के लिए 2021 तक का प्लान तैयार ! 70 हजार बेड्स की होगी तैनाती

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कोरोना वायरस को लेकर नवीन पटनायक सरकार तैयारियों में जुटी हुई है। वह कोरोना के एक-एक मामले को रिकॉर्ड कर रही है और हर एक मामले की जानकारी साझा कर रही है।

भुवनेश्वर। कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते मामलों के बीच अपदाओं से घिरे हुए ओडिशा की सतर्कता देखने लायक है। 20 साल से आपदाओं से लड़ रहा राज्य हमेशा उनसे मिलने वाली चुनौतियों से सीखता आया है तभी तो वह हमेशा जल्द ही उभर जाता है। बीते सालों से ओडिशा ने जो कुछ भी सीखा है यह उसी का नतीजा है कि कोरोना संक्रमण के कम मामले होने के बावजूद प्रदेश में लंबा और कड़ा लॉकडाउन है।

जब दूसरे राज्य लॉकडाउन में अतिरिक्त रियायतें दे रहे हैं तब ओडिशा ने गंजाम और खोरदा जिलों में 30 तक के लिए पूर्णतया कर्फ्यू लगाया हुआ है। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार की नजर में 12 ऐसे तटीय जिले हैं जहां पर कोरोना के केस ज्यादा हैं, वहां पर शनिवार और रविवार को लॉकडाउन रहता है। 

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तैयारियों में जुटी पटनायक सरकार

कोरोना से निपटने के लिए प्रदेश की नवीन पटनायक सरकार तैयारियों में जुटी हुई है। वह कोरोना के एक-एक मामले को रिकॉर्ड कर रही है और हर एक मामले की जानकारी साझा कर रही है। बताया जा रहा है कि जब लॉकडाउन पूरी तरह से खुल जाएगा तो फिर क्या हालात होंगे ? राज्य सरकार अब इसको लेकर रणनीतियां बना रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ओडिशा में 30 जून के बाद मार्च 2021 तक के लिए सरकार ने कोविड केयर सेंटर को चालू रखने की बात कही है। जिसका मतलब है कि हर पंचायत में 10-12 बेड वाला सेंटर बनाना शुरू हो चुका है। भविष्य में आने वाली चुनौतियों की संभावना को देखते हुए पटनायक सरकार पहले से सतर्क है। बता दें कि ओडिशा में 6,798 पंचायतों हैं और हर पंचायत में अगर 10-12 बेड वाला सेंटर बनेगा तो करीब 70 हजार बेड तैयार हो जाएंगे। कोरोना जांच में या फिर कोवड-19 के शुरुआती लक्षण सामने आने वाले लोगों को इन्हीं सेंटर्स में रखा जाएगा। 

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हर पंचायत में कोविड केयर सेंटर मौजूद होंगे जिसकी जिम्मेदारी सरपंच की होगी। जिसका मतलब है यदि यहां पर कोरोना लक्षण वाले किसी भी मरीज की तबियत बिगड़ती है तो सरपंच उस मरीज को एंबुलेंस के जरिए तुरंत कोविड-19 अस्पताल भेजेंगे। इसके अलावा सरकार ने 500 वेंटिलेटर का भी इंतजाम कर लिया है और बताया जा रहा कि सरकार इस बात का भी अनुमान लगा रही है कि क्या तीन महीने बाद जो भी स्थिति होगी ( अच्छी या बुरी ) उस स्थिति में यह कारगर होंगे या फिर नहीं।

30 जून के बाद डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग शुरू होगी। यह तकरीबन 45 दिनों तक चलेगी। इसे एक तरह का जागरुकता अभियान भी कहा जा सकता है क्योंकि आशा और आगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर-टू-डोर जाकर लोगों को समझाएंगे कि लक्षण समझ में आए तो क्या करना है इत्यादि... 

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गौरतलब है कि ओडिशा में रविवार तक कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 5,160 हो गई। जबकि 14 मरीजों की मौत हुई है। फिलहाल 1,607 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है। इस बीमारी से अब तक 3,534 लोग में ठीक हो चुके हैं।

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