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भीड़ हिंसा पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाली हस्तियों के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द किया जाए: माकपा
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- अक्टूबर 6, 2019 17:03
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पार्टी ने कहा कि देश जब गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहा है, इन प्रावधानों को कानून की किताब से हटाने के लिये यह उपयुक्त समय है। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसी महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचारों से अवगत कराना, अपराध नहीं हो सकता है। पोलित ब्यूरो ने सरकार की नीतियों को लेकर विरोधाभाषी मत रखने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने को लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन बताते हुये कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि देश अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहा है।
नयी दिल्ली। माकपा ने भीड़ हिंसा के बढ़ते मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने वाली नामचीन हस्तियों के खिलाफ देश की छवि धूमिल करने सहित अन्य आरोपों में दर्ज किये गये मामले को रद्द कर आरोप वापस लेने की मांग की है। माकपा पोलित ब्यूरो ने रविवार को बयान जारी कर इतिहासकार रामचंद्र गुहा, अदाकारा अपर्णा सेन और फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप सहित 49 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की निंदा करते हुये सरकार से इनके खिलाफ लगे आरोपों को वापस लेने की मांग की है। पोलित ब्यूरो ने कहा, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिये विख्यात 49 लोगों ने उन्मादी भीड़ की हिंसा के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुये प्रधानमंत्री को गत जुलाई में पत्र लिखा था।माकपा, आजादी के बाद से ही देशद्रोह के कानूनी प्रावधानों का विरोध करती रही है, क्योंकि ब्रिटिश राज का संरक्षण करने के लिये बनाये गये इन प्रावधानों के तहत महात्मा गांधी सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को हिरासत में लिया जाता था।’’
पार्टी ने कहा कि देश जब गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहा है, इन प्रावधानों को कानून की किताब से हटाने के लिये यह उपयुक्त समय है। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसी महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचारों से अवगत कराना, अपराध नहीं हो सकता है। पोलित ब्यूरो ने सरकार की नीतियों को लेकर विरोधाभाषी मत रखने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने को लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन बताते हुये कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि देश अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहा है।पार्टी ने मुजफ्फरपुर की अदालत द्वारा 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर आश्चर्य व्यक्त करते हुये कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 1962 में ही व्यवस्था दी थी कि राज्य के खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से हिंसा भड़काने पर ही देशद्रोह का मामला दर्ज किया जा सकता है। पोलित ब्यूरो ने अदालत के इस आदेश का हवाला देते हुये इन लोगों के खिलाफ लगाये गये आरोपों को वापस लेते हुये मुकदमा खारिज करने की मांग की है।
किसान आंदोलन पर बोले कैलाश चौधरी, यूनियन से कम्युनिस्ट निकल जाएं तो समाधान हो जाएगा
- अंकित सिंह
- जनवरी 18, 2021 13:13
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कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है।
सरकार और किसानों के बीच में कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध जारी है। अब तक लगभग 9 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकल पाया है। विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। इस सब के बीच केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बड़ा बयान दिया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान यूनियन के कुछ नेता चाहते हैं कि इसका समाधान हो। अगर यूनियन से कम्युनिस्ट निकल जाएं तो कल इसका समाधान हो जाएगा। कम्युनिस्ट, कांग्रेस और कुछ राजनीतिक दल कभी नहीं चाहते कि इसका समाधान हो।
इसके आगे कैलाश चौधरी ने यह भी कहा कि शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है। आपको बता दें कि सरकार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से तीन कृषि कानून के बारे में अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने एवं ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिये एक अनौपचारिक समूह गठित करने को कहा जिस पर 19 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा हो सकेगी। तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान तीन नये विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की एवं कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी।शुरू में जब पहली बैठक हुई थी, तब उनके जो मुद्दे थे उन पर सरकार ने अमल करके उसमें संशोधन कर लिया है। उसके लिए लिखित में आश्वासन देने की बात भी हो चुकी है। कल इस मानसिकता के साथ बैठें कि कोई न कोई समाधान निकालना है: कैलाश चौधरी #FarmLaws https://t.co/LwqqIZUtDC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 18, 2021
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- अभिनय आकाश
- जनवरी 18, 2021 13:03
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पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तारे गर्दिश में हैं। पाकिस्तान में इमरान खान पर विपक्ष तो हमलावर था ही जैसा जनता का रुख है उसने भी इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी है। रविवार को सिंध के सान कस्बे में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। रैली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैनर और पोस्टर भी देखने को मिले। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधुदेश और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
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गौरतलब है कि 1947 के भारत-पाक बंटवारे से लेकर अब तक पाकिस्तान के दोयम दर्जे की नीतियों और सेना की जूतों के तले रखने की आदतों का शिकार होना पड़ता है। जिस तरह बलूचिस्तान पश्चूनिस्तान की मांग पंजाबी वर्चस्व वाली पाकिस्तानी सरकार और सेना के लिए गले की हड्डी बनी हुई है, ठीक उसी तरह सिंध प्रांत की मांग भी लंबे अरसे की की जाती रही है। वहां की सड़कों पर रह-रहकर यह नारा जोर मारता है 'कल बना था बांग्लादेश, अब बनेगा सिंधुदेश'।
#WATCH: Placards of PM Narendra Modi & other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th Jan.
— ANI (@ANI) January 18, 2021
Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/FJIz3PmRVD
ट्रैक्टर रैली रोकने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह कानून-व्यस्था का मामला
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 18, 2021 13:03
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ट्रैक्टर रैली रोकने संबंधी याचिका पर न्यायालय ने कहा कि यह कानून-व्यस्था का मामला है।पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में प्रवेश का मामला न्याय व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस इस पर फैसला करेगी।’’ उसने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं और आपके पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार है।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और यह फैसला लेने का पहला अधिकार पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्रॉली रैली अथवा गणतंत्र दिवस पर समारोहों एवं सभाओं को बाधित करने की कोशिश करने अन्य प्रकार के प्रदर्शनों पर रोक का अनुरोध करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि पुलिस के पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार हैं।
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न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति विनीत सरन भी इस पीठ में शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘क्या उच्चतम न्यायालय यह बताएगा कि पुलिस की क्या शक्तियां हैं और वह इनका इस्तेमाल कैसे करेगी? हम आपको यह नहीं बताने जा रहे कि आपको क्या करना चाहिए।’’ पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को बताया कि मामले में आगे की सुनवाई 20 जनवरी को होगी। पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में प्रवेश का मामला न्याय व्यवस्था से जुड़ा है और पुलिस इस पर फैसला करेगी।’’ उसने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम इस मामले की सुनवाई स्थगित कर रहे हैं और आपके पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार है।

