कैट प्रमुख ने संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों पर सुनवाई करने से किया इनकार

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[email protected] । Apr 23 2019 3:56PM

भारतीय वन सेवा के 2002 बैच के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी 2015-16 की उनकी मूल्यांकन रिपोर्ट में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा की गयी प्रतिकूल प्रविष्टियों और दूसरे मामलों को लेकर 2016 से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

नयी दिल्ली। प्रमुख एल नरसिम्‍हा रेड्डी ने  बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम  और अन्य कारणों का हवाला देते हुए व्हिसलब्लोअर नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी से संबंधित मामलों की सुनवाई नहीं करने का फैसला लिया है। मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर चार वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद चतुर्वेदी अगस्त 2016 में उत्तराखंड के अपने मूल कैडर में लौट आये थे।

भारतीय वन सेवा के 2002 बैच के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी 2015-16 की उनकी मूल्यांकन रिपोर्ट में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा की गयी प्रतिकूल प्रविष्टियों और दूसरे मामलों को लेकर 2016 से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। चतुर्वेदी ने 2015-16 की रिपोर्ट में की गयी प्रविष्ठियों को जुलाई, 2017 में नैनीताल में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की पीठ में चुनौती दी थी। नैनीताल पीठ ने इस याचिका पर केंद्र सरकार और एम्स को नोटिस जारी किया था।

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नवम्बर 2017 में उन्होंने अपनी तीन अन्य लंबित याचिकाओं (विभिन्न सेवा संबंधी मामलों पर दायर) को दिल्ली पीठ से नैनीताल स्थानांतरित करने के लिए कैट के अध्यक्ष के समक्ष आवेदन दायर किया था। इसके अगले महीने ही एम्स प्रशासन ने कैट प्रमुख के समक्ष एक स्थानांतरण याचिका दायर की, जिसमें लंबित मूल्यांकन रिपोर्ट के मामले को नैनीताल पीठ से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।  इन स्थानांतरण की सभी चार याचिकाओें पर सुनवाई कैट प्रमुख रेड्डी कर रहे थे।

रेड्डी ने पिछले महीने एक आदेश में कहा था कि प्रतिदिन स्थानांतरण याचिकाओं से जुड़ी एक के बाद एक पेचीदगियां बढ़ रही हैं।

रेड्डी ने 29 मार्च को दिए आदेश में कहा, ‘‘ यह एक दुर्लभ मामला है, जिसमें कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम हो रहे हैं। यह अध्यक्ष के कार्यालय की गरिमा की परीक्षा है। लोग आते हैं और लोग जाते हैं लेकिन अध्यक्ष के कार्यालय की गरिमा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। इसके साथ ही, निष्पक्ष निर्णय प्राप्त करने के एक नागरिक के अधिकार को भी खत्म नहीं किया जा सकता।’’

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आदेश में कहा कि इस मामले में जो अजीबोगरीब और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी हैं उसमें इन चार स्थानांतरण याचिकाओं के निबटारे के लिए याचिकाकर्ता को किसी भी फोरम या अदालत का रुख करने के लिए स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।

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