सीबीआई का झगड़ा अदालत में पहुंचा, विपक्षी दलों ने केंद्र को घेरा
अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि अस्थाना और देवेंद्र सिंह के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी के आरोप जोड़े गए हैं। कुमार को कथित तौर पर घूस लेने, रिकॉर्ड में हेरफेर के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था।
नयी दिल्ली। सीबीआई के दो बड़े अधिकारियों के बीच मचा घमासान अब अदालत की दहलीज पर पहुंच गया है और मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में यथास्थिति बरकरार रखे जबकि एक निचली अदालत ने घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किये गए एजेंसी के डीएसपी देवेंद्र सिंह को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
A Delhi court on Tuesday granted seven days of CBI remand to Deputy Superintendent of Police (DSP) Devendra Kumar in Moin Akhtar Qureshi case
— ANI Digital (@ani_digital) October 23, 2018
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क्या है मामला
अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि अस्थाना और देवेंद्र सिंह के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी के आरोप जोड़े गए हैं। कुमार को कथित तौर पर घूस लेने, रिकॉर्ड में हेरफेर के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। अस्थाना और उनके बॉस सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से जुड़े इस हाईवोल्टेज ड्रामा ने कांग्रेस और विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया। विपक्षी दलों ने केंद्र पर ‘‘देश की संस्थाओं को बर्बाद’’ करने का आरोप लगाया।
कोर्ट ने क्या कहा
अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए अस्थाना ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायाधीश ने सीबीआई से कहा कि वह मामले में विशेष निदेशक के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर 29 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखे। अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि मामले की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए इस मामले में जारी जांच पर किसी तरह का स्थगन नहीं है।
तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच देवेंद्र सिंह ने अपने खिलाफ दायर प्राथमिकी को रद्द करने और मामले से जुड़े दस्तावेजों को सौंपे जाने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इसके बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना ने भी हाईकोर्ट में ऐसी ही एक याचिका दायर की। अस्थाना का आरोप है कि विवादास्पद मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में सीबीआई निदेशक द्वारा कथित तौर पर उनके नेतृत्व में हो रही जांच में हस्तक्षेप किया जा रहा है। अस्थाना इस बारे में भ्रष्टाचार निरोधक निगरानीकर्ता, केंद्रीय सतर्कता आयोग को लगातार लिखते रहे हैं।
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न्यायमूर्ति नाजिम वजीरी ने अस्थाना और घूस मामले में गिरफ्तार उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर जांच एजेंसी, उसके निदेशक आलोक कुमार वर्मा और संयुक्त निदेशक ए के शर्मा से जवाब मांगा है। अदालत ने सीबीआई की प्रशासनिक शाखा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भी नोटिस जारी किया है। नौकरशाहों के खिलाफ जांच के लिये विभाग की मंजूरी लेना जरूरी होता है।
अस्थाना का पक्ष
अस्थाना के वकील ने न्यायमूर्ति वजीरी के समक्ष कहा कि एक आरोपी के बयान के आधार पर विशेष निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि इसे लेकर काफी ‘‘दुख’’ है। न्यायधीश ने हालांकि कहा कि यह दुर्भावना से लगाए गए आरोपों के परीक्षण का मंच नहीं है। सीबीआई के वकील ने कहा कि आईपीसी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है जिनमें आपराधिक साजिश शामिल है और उन्होंने आरोपियों के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी से जुड़ी और धाराएं भी जोड़ी हैं।
अदालत ने अस्थाना के वकील की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मामले में आगे की कार्यवाही को स्थगित करने की मांग की गई थी। न्यायधीश ने कहा, ‘‘कुछ नहीं होगा। कल महर्षि वाल्मीकि जयंती है, कुछ नहीं होगा।’’ उन्होंने अदालत से कहा कि ‘‘आज के संतुलन को बाधित नहीं करें।’’ मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले में जांच अधिकारी रहे डीएसपी पर कारोबारी सतीश सना के बयान दर्ज करने में धोखाधड़ी के आरोप हैं। सना ने आरोप लगाया था कि उन्होंने इस मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी थी।
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उसे विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष पेश किया गया जिसने उसे सात दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया। अदालत ने अपराध को ‘‘गंभीर’’ करार दिया और इस बात को रेखांकित किया कि आरोपियों समेत लोक सेवकों की संलिप्तता के गंभीर आरोप हैं। लोक सेवकों पर जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि वे जांच की आड़ में चल रहे जबरन वसूली रैकेट का हिस्सा हैं। अदालत ने यह भी कहा कि मामले में घारा 17-ए के तहत सरकार से मंजूरी भी नहीं ली गई।
विपक्ष का केंद्र पर हल्लाबोल
इस पूरे घटनाक्रम के बीच विपक्ष ने केंद्र पर स्थिति को संभालने में विफल रहने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि सीबीआई को ‘‘ध्वस्त करने, इसकी प्रतिष्ठा गिराने और नष्ट करने’’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं। इसने कहा कि मोदी सीबीआई के कामकाज में सीधे हस्तक्षेप कर रहे हैं। इन आरोपों पर प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
Deprecation, Denigration, Dismantling & Destroying Institutions is the Sole Agenda of PM Modi
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 23, 2018
Perpetual misuse of CBI by Modi-Shah duo in fixing political opponents & illegal intervention to tamper fair investigation of serious criminal cases has landed CBI in a complete mess. pic.twitter.com/EecXUhYzVe
सुरजेवाला ने केंद्र पर सीबीआई, ईडी और ऐसे अन्य संस्थानों की स्वतंत्रता को कुचलने का आरोप लगाया। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का नाम लिये बिना कहा कि भाजपा और मोदी के एक चहेते अफसर की वजह से देश की शीर्ष जांच एजेंसी की छवि पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मुंबई में कहा कि अगर मौजूदा सरकार प्रभावी होती तो सीबीआई में उच्चतम स्तर पर रिश्वतखोरी के आरोप नहीं लगते। ‘‘उन्हें (प्रधानमंत्री को) कार्रवाई करनी चाहिए।’’
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