CBI ने कोर्ट को किया सूचित, मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में आरोप पत्र है तैयार
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लड़कियों का कथित बलात्कार और यौन शोषण किये जाने का तथ्य बिहार सरकार को सौंपी गयी टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट से सामने आया था।
नयी दिल्ली। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि मुजफ्फरपुर आश्रयगृह यौन हिंसा मामले में आरोप पत्र तैयार है परंतु जांच एजेन्सी चर्चा कर रही है कि एक समेकित आरोप पत्र दाखिल किया जाये या फिर प्रत्येक पीड़ित के मामले में अलग अलग आरोप पत्र हो। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ को जांच ब्यूरो ने इस संबंध में चर्चा के बारे में बताया क्योंकि इसमें कुछ अलग पीड़ित और गवाह भी हैं। जांच एजेन्सी ने कहा कि वह इस बारे में जल्द ही निर्णय लेगी।
Muzaffarpur shelter home case: CBI tells the Supreme Court that chargesheet is ready and will be filed soon. CBI says it is in the process of filing 21 chargesheets
— ANI (@ANI) December 12, 2018
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लड़कियों का कथित बलात्कार और यौन शोषण किये जाने का तथ्य बिहार सरकार को सौंपी गयी टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट से सामने आया था। इस मामले में बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने जांच ब्यूरो से जानना चाहा कि क्या आय कर विभाग ने उन करीब साढ़े चार करोड़ रूपए के बारे में कार्यवाही शुरू की जो इस आश्रय गृह का संचालन करने वाले गैर सरकारी संगठन को पिछले दस साल के दौरान बिहार सरकार से मिले थे। न्यायालय के इस सवाल पर जांच ब्यूरो के वकील ने कहा कि हां, आय कर विभाग ने कार्यवाही शुरू की है। उन्होंने कहा कि इस बारे में आयकर विभाग की प्रगति रिपोर्ट प्राप्त करके न्यायालय को उससे अवगत कराया जायेगा।
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पीठ ने इस मामले को जनवरी के पहले सप्ताह के लिये सूचीबद्ध करते हुये जांच ब्यूरो से कहा कि वह मामले की प्रगति के साथ ही आयकर विभाग की कार्यवाही से भी उसे अवगत कराये। प्रारंभ में जांच ब्यूरो को सिर्फ मुजफ्फरपुर आश्रय गृह की जांच का काम सौंपा गया था परंतु शीर्ष अदालत ने पिछले महीने उसे राज्य के 16 अन्य आश्रय गृहों की जांच का काम भी सौंप दिया था। न्यायालय ने 20 सितंबर के आदेश में कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह का संचालन करने वाले गैर सरकारी संगठन को अपनी गतिविधियों के लिये दस साल की अवधि में करीब साढ़े चार करोड़ रूपए मिले और उसने 35 वाहन खरीदे थे।
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