CBIvsCBI: सीवीसी ने कहा, असाधारण परिस्थितियों के लिए असाधारण उपाय जरूरी
मेहता ने कहा, ‘‘सीवीसी ने जांच शुरू कर दी लेकिन वर्मा ने महीनों तक दस्तावेज नहीं दिये।’’ अदालत वर्मा की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। वह उनके खिलाफ केंद्र के फैसले को चुनौती दे रहे हैं।
नयी दिल्ली। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टियों पर भेजने के केंद्र के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय सतर्कता आयोग ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि असाधारण परिस्थितियों के लिए असाधारण उपायों की जरूरत है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत के फैसलों और सीबीआई को संचालित करने वाले कानूनों का जिक्र किया और कहा कि (सीबीआई पर) आयोग की निगरानी के दायरे में इससे जुड़ी‘आश्चर्यजनक और असाधारण परिस्थितियां ’भी आती हैं।
CBI case in Supreme Court: Advocate Fali Nariman for CBI Director Alok Verma, 'there can’t be an acting Chief Justice of India, there has to be a Chief Justice of India as per the constitution. Same situation here, they can't have an acting director of CBI.' https://t.co/rmRPLJ69Jc
— ANI (@ANI) December 6, 2018
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उसे बताया है कि जिन परिस्थितियों में ये हालात पैदा हुए उनकी शुरूआत जुलाई में ही हो गई थी। पीठ ने कहा, ‘‘सरकार की कार्रवाई के पीछे की भावना संस्थान के हित में होनी चाहिए।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सीबीआई निदेशक और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच झगड़ा रातोंरात सामने आया जिसकी वजह से सरकार को चयन समिति से परामर्श किये बिना निदेशक के अधिकार वापस लेने को विवश होना पड़ा हो। उसने कहा कि सरकार को ‘निष्पक्षता’ रखनी होगी और उसे सीबीआई निदेशक से अधिकार वापस लेने से पहले चयन समिति से परामर्श लेने में क्या मुश्किल थी।
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प्रधान न्यायाधीश ने सीवीसी से यह भी पूछा कि किस वजह से उन्हें यह कार्रवाई करनी पड़ी क्योंकि यह सब रातोंरात नहीं हुआ। मेहता ने अदालत से कहा कि सीबीआई के शीर्ष अधिकारी मामलों की जांच करने के बजाय एक दूसरे के खिलाफ मामलों की तफ्तीश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीवीसी के अधिकार क्षेत्र में जांच करना शामिल है, अन्यथा वह कर्तव्य में लापरवाही की दोषी होगी। अगर उसने कार्रवाई नहीं की होती तो राष्ट्रपति और उच्चतम न्यायालय के प्रति जवाबदेह होती। उन्होंने कहा कि सीबीआई निदेशक के खिलाफ जांच सरकार की तरफ से उन्हें भेजी गयी। मेहता ने कहा, ‘‘सीवीसी ने जांच शुरू कर दी लेकिन वर्मा ने महीनों तक दस्तावेज नहीं दिये।’’ अदालत वर्मा की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। वह उनके खिलाफ केंद्र के फैसले को चुनौती दे रहे हैं।
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