केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में राजद्रोह कानून का बचाव किया

Supreme Court
ANI Twitter.

मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 5 मई को कहा था कि वह 10 मई को इसपर सुनवाई करेगी कि क्या राजद्रोह से संबंधित औपनिवेशिक युग के दंडात्मक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है।

नयी दिल्ली|  केंद्र ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय में राजद्रोह से संबंधित दंडात्मक कानून और इसकी वैधता बरकरार रखने के संविधान पीठ के 1962 के एक निर्णय का बचाव किया।

मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 5 मई को कहा था कि वह 10 मई को इसपर सुनवाई करेगी कि क्या राजद्रोह से संबंधित औपनिवेशिक युग के दंडात्मक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से दाखिल 38-पृष्ठ लिखित प्रस्तुति में कहा गया है, कानून के दुरुपयोग के मामलों के आधार पर कभी भी संविधान पीठ के बाध्यकारी निर्णय पर पुनर्विचार करने को समुचित नहीं ठहराया जा सकता।

छह दशक पहले संविधान पीठ द्वारा दिये गए फैसले के अनुसार स्थापित कानून पर संदेह करने के बजाय मामले-मामले के हिसाब से इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के उपाय किये जा सकते हैं।‘’ शीर्ष अदालत ने, 1962 में राजद्रोह कानून की वैधता को बरकरार रखते हुए इसके दुरुपयोग के दायरे को सीमित करने का प्रयास किया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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