केन्द्र को कश्मीर में आम चुनावों के साथ चुनाव कराने में कोई आपत्ति नहीं: राजनाथ

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[email protected] । Jan 3 2019 7:03PM

उन्होंने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के सांविधिक संकल्प पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। उनके जवाब के बाद उच्च सदन ने इस संकल्प को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।

नयी दिल्ली। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के बारे में केन्द्र सरकार की स्थिति को स्पष्ट करते हुये बृहस्पतिवार को कहा कि किसी राज्य में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। आयोग चाहे तो जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ ही चुनाव कराने का फैसला कर सकता है। केन्द्र सरकार को इसमें कोई दिक्कत नहीं है। सिंह ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के सांविधिक संकल्प पर बृहस्पतिवार को राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने के लिये सुरक्षा बल सहित अन्य जरूरी इंतजामों की पूर्ति के लिये तैयार है। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में चुनाव कराने के बारे में केन्द्र सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए गृह मंत्री से कहा। इस पर सिंह ने कहा कि अगर चुनाव आयोग आम चुनाव के साथ ही राज्य में चुनाव कराने का फैसला करता है तो सरकार को इसमें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा ‘‘चुनाव आयोग को कश्मीर में चुनाव संपन्न कराने के लिये जितने भी सुरक्षा बलों की आवश्यकता होगी, हम उसे मुहैया कराने के लिये तैयार हैं।’’ 

सिंह के जवाब के बाद उच्च सदन ने इस संकल्प को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा से यह संकल्प पहले ही पारित किया जा चुका है। ।इससे पहले चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर कश्मीर समस्या के समाधान के लिये सार्थक प्रयास नहीं करने का आरोप लगाया, जिसकी वजह से वहां के लोगों में खुद को अलग थलग महसूस करने की भावना पनप रही है और बल प्रयोग में इजाफे के कारण वहां के युवाओं का रुख आतंकवाद की ओर जा रहे हैं। इसके जवाब में सिंह ने कहा ‘‘यह सच है कि अलगाव का भाव ही आजादी के समय देश के विभाजन की वजह बना। विभाजन के बाद भी इस भाव को कम करने के लिये तत्कालीन सरकारों ने सकारात्मक पहल करने के बजाय तुष्टिकरण की राजनीति कर इस संकट को और अधिक गहरा दिया। इसके लिये भाजपा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। सिंह ने कहा कि खुद को अलग थलग महसूस करने के भाव कम करने के लिये ही जम्मू कश्मीर में विकास परियोजनाओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निजी तौर पर रुचि दिखाते हुये राज्य को अब तक का सर्वाधित कोष आवंटन किया। इसकी मदद से राज्य में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिये पहली बार पांच रिजर्व बटालियन गठित कर इनमें 50 हजार लोगों की भर्ती की। 

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बॉर्डर बटालियन में 25 हजार लोगों की भर्ती हुयी और दो महिला बटालियन गठित की गयी। ।इसी तरह कश्मीर पुलिस में सात हजार एसपीओ (विशेष सुरक्षा अधिकारी) की भर्ती की गयी है।गृह मंत्री ने कश्मीर में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने के लिये पंचायत चुनाव कराने का जोखिम लिया गया। इसमें उम्मीद से ज्यादा सफलता मिलने का दावा करते हुये सिंह ने कहा ‘‘हमने बेधड़क आगे बढ़कर यह काम किया है। जितनी उम्मीद हमें नहीं थी उतनी कामयाबी हमें पंचायत और नगर निकाय के चुनाव में मिली है।’’ आतंकी घटनाओं के बारे में उन्होंने कहा ‘‘1995 में जम्मू कश्मीर में 5938 आतंकवादी घटनायें हुयी थी। लेकिन 2018 में यह संख्या घटकर 342 घटनायें हुयीं। हमारी कोशिश है कि कश्मीर को जिसे हिंदुस्तान का जन्नत माना जाता है, उसमें आतंकवाद की एक भी घटना न हो।समस्या के समाधान के लिये अलगाववादी गुटों से बातचीत नहीं करने के विपक्ष के आरोप को नकारते हुये गृह मंत्री ने कहा कि हाल ही में वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ कश्मीर गये थे। सभी नेताओं ने हुर्रियत के नेताओं से मिलने की इच्छा जतायी। लेकिन जब प्रतिनिधिमंडल के नेता हुर्रियत नेताओं से मिलने गये तो उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर लिये। ‘‘अगर उन लोगों ने इनसे बात कर ली होती तो शायद कोई रास्ता खुल गया होता।’’ 

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उन्होंने कहा ‘‘इसके बाद भी हमने बातचीत के दरवाजे बंद नहीं किये थे। हमारे दरवाजे हमेशा बिना शर्त बातचीत के लिये खुले हैं। इसके बाद भी दूसरी तरफ से जो पहल की जानी चाहिये थी वह नहीं हुयी।’’ पिछले साढ़े चार साल में स्थिति बहुत बिगड़ जाने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने को लेकर प्रतिबद्ध है तथा उसे राज्य में आम चुनावों के साथ चुनाव करवाने में कोई आपत्ति नहीं है।सिंह ने राज्यपाल शासन के दौरान जम्मू कश्मीर के संविधान में संशोधन करने के आरोपों का जवाब देते हुये कहा कि इस दौरान स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के लिये ही सरकार ने पंचायती राज कानून में जरूरी संशोधन कर ग्राम पंचायतों के वित्तीय अधिकार दस गुना बढ़ा दिये हैं। इसे बेमिसाल कदम बताते हुये सिंह ने कहा कि कानून में संशोधन कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, आंगनबाड़ी और प्राथमिक स्कूल भी पंचायतों के क्षेत्राधिकार में किये गये।

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