वोटर्स के साथ धोखा ! उम्मीदवार ने लोगों को बांटे 2000 के कूपन, जानिए फिर क्या हुआ...

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अंकित सिंह । Apr 8 2021 4:17PM

तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थानीय उम्मीदवार ने मतदाताओं को 2000-2000 हजार का टोकन देकर कहा था कि मतदान के बाद इसका कुंभकोणम शहर की एक किराने की दुकान पर जाकर कैश करा लेना। मतदान समाप्त होने के बाद ही सुबह सवेरे कुंभकोणम शहर के उस किराने की दुकान पर लोगों की लंबी लाइन खड़ी हो गई।

चुनाव के समय अक्सर मतदाता नेताओं के झांसे में आ जाते हैं। नेता भी मतदाताओं का वोट पाने के लिए अलग-अलग चुनावी तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में यही देखा गया है कि चुनावी नतीजे आने के बाद नेता अपने वादे से या तो पलट जाते हैं या उसे पूरा नहीं कर पाते हैं। ऐसा ही कुछ तमिलनाडु में भी देखने को मिला। तमिलनाडु में मतदाता नेता जी की बातों में आकर धोखा खा बैठे हैं। अब उन्हें इस बात का एहसास हो रहा है कि उन्होंने अपने मताधिकार का गलत प्रयोग कर लिया है। तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थानीय उम्मीदवार ने मतदाताओं को 2000-2000 हजार का टोकन देकर कहा था कि मतदान के बाद इसका कुंभकोणम शहर की एक किराने की दुकान पर जाकर कैश करा लेना। मतदान समाप्त होने के बाद ही सुबह सवेरे कुंभकोणम शहर के उस किराने की दुकान पर लोगों की लंबी लाइन खड़ी हो गई।

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सभी लोग कुंभकोणम की उस दुकान पर अपने उस टोकन को कैश कराने के लिए आए थे। हालांकि दुकान के मालिक ने सभी लोगों को भगाने का प्रयास किया। दुकान के मालिक शेख मोहम्मद ने कहा कि उम्मीदवार से इस दुकान का कोई संबंध नहीं है। उसने आश्चर्य में यह बताया कि ऐसा कैसे हो सकता है। दुकानदार की यह बातें सुनकर वहां मौजूद लोग भड़क उठे। कई लोगों ने तो वहां से हटने से भी इंकार कर दिया। भीड़ को हटाने के लिए दुकानदार को पुलिस बुलाना पड़ा। दुकान के बाहर उसने पोस्टर भी लगा दिया जिसमें लिखा था कि हमारा उम्मीदवार द्वारा जारी किए गए टोकन से कोई संबंध नहीं है, हम टोकन के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं।

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इस घटना का बाद में जांच किया गया तो पता चला कि अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कषगम का कार्यकर्ता कनागराज कथित टोकन बांटने की घटना में शामिल था। कुंभकोणम पूर्व पुलिस ने कनागराज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। मामले की आगे जांच की जा रही है। पुलिस की ओर से यह कहा जा रहा है कि इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या उम्मीदवार मतदाताओं को इस तरह से झांसे में कब तक लेते रहेंगे? मतदाताओं को अपनी वोट की कीमत कब तक चुकानी पड़ेगी और सबसे बड़ा सवाल की चुनावी वादों में नेता कुछ भी कहते रहेंगे ऐसा कब तक होगा। 

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