चीन ने 1959 में LAC को एकतरफा परिभाषित किया है, भारत ने कभी नहीं किया स्वीकार: MEA
श्रीवास्तव की यह टिप्पणी तब आई जब चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि चीन सात नवंबर 1959 को अपने तत्कालीन प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भेजे गए एक पत्र में प्रस्तावित की गई एलएसी को मानता है।
श्रीवास्तव की यह टिप्पणी तब आई जब चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि चीन सात नवंबर 1959 को अपने तत्कालीन प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भेजे गए एक पत्र में प्रस्तावित की गई एलएसी को मानता है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का हवाला दिया जिनमें 1993 में एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने संबंधी समझौता, 1996 में विश्वास बहाली के कदमों से संबंधित समझौता और 2005 में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए राजनीतिक मानकों तथा निर्धारक सिद्धांतों से संबंधित समझौता भी शामिल है। उन्होंने इन समझौतों का जिक्र यह बताने के लिए किया कि दोनों पक्षों ने एलएसी संरेखण पर पारस्परिक सहमति पर पहुंचने की प्रतिबद्धता जताई थी। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इसलिए, अब चीनी पक्ष का यह कहना, कि केवल एक ही एलएसी है, इन समझौतों में चीन द्वारा की गईं सभी प्रतिबद्धताओं के पूरी तरह विपरीत है।’’The two sides had engaged in an exercise to clarify & confirm the LAC up to 2003, but the process couldn't proceed further as Chinese didn't show willingness. Therefore, the Chinese insistence now that there is only one LAC is contrary to solemn commitments made by them: MEA https://t.co/N6ux8NdSEG
— ANI (@ANI) September 29, 2020
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उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने एलएसी का हमेशा सम्मान और पालन किया है। संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हालिया संबोधन का जिक्र करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि यह चीनी पक्ष है जिसने पश्चिमी सेक्टर के विभिन्न हिस्सों में एलएसी पर अतिक्रमण के अपने प्रयासों से यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने की कोशिश की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि चीन ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार दोहराया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति का समाधान दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के अनुरूप किया जाना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘10 सितंबर को विदेश मंत्री और उनके चीनी समकक्ष के बीच हुए समझौते में भी चीनी पक्ष ने सभी मौजूदा समझौतों का पालन करने की अपनी कटिबद्धता दोहराई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष ईमानदारी से सभी समझौतों और सहमति का पूरी तरह पालन करेगा तथा एलएसी की एकतरफा अपुष्ट व्याख्या करने से बचेगा।
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