चीनी नौसेना एक ताकत है जो यहां लंबे समय तक रहेगी: नौसेना प्रमुख
एडमिरल लांबा ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अपनी सैन्य क्षमता, अपने बलों के आधुनिकीकरण और अपने कमान के ढांचे के आधुनिकीकरण पर काफी धन खर्च कर रहे हैं।’’
नयी दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने बुधवार को कहा कि चीन ने अपनी नौसैनिक क्षमता को बढ़ाने के लिये पिछले पांच वर्षों में 80 नए नौसैनिक जहाज शामिल किये हैं और चीनी नौसेना यहां लंबे समय तक टिकी रहेगी। उनका यह बयान हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर चिंता के बीच आया है। एडमिरल लांबा ने अमेरिका, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष नौसेना अधिकारियों के साथ ‘रायसीना डायलॉग’ में हिस्सा लेते हुए कहा कि पिछले 200 वर्षों में किसी भी देश की नौसेना का उतनी तेजी से विकास नहीं हुआ है जितनी तेजी से चीनी नौसेना का।
Indian Navy chief, Admiral Sunil Lanba: Since 2008 there has been a permanent presence of the Chinese Navy in the Indian Ocean region in the form of an anti-piracy escort force. At any given time there are 6-8 Chinese Navy ships in the northern part of the Indian Ocean.(09.01.19) pic.twitter.com/TyqBs6Mr33
— ANI (@ANI) January 9, 2019
एडमिरल लांबा ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अपनी सैन्य क्षमता, अपने बलों के आधुनिकीकरण और अपने कमान के ढांचे के आधुनिकीकरण पर काफी धन खर्च कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीनी नौसेना एक ताकत है और यह ताकत लंबे समय तक यहां रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि 2008 से समुद्री लूट (पाइरेसी) से रक्षा करने वाले बल के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की स्थायी मौजूदगी है। भारतीय नौसेना प्रमुख ने कहा कि हर समय हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में छह से आठ चीनी नौसैनिक जहाज मौजूद रहते हैं।
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उन्होंने कहा, ‘‘दो साल पहले उन्होंने जिबूती में अपना पहला विदेशी अड्डा स्थापित किया। इस तैनाती का घोषित लक्ष्य उनके व्यापार की रक्षा करना है। उन्होंने समुद्री लूट के खिलाफ अभियान के लिये अपनी पनडुब्बियां तैनात की हैं, जिनका इस तरह की भूमिका के लिये इस्तेमाल नहीं किया जाता है।’’ अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल फिलिप एस डेविडसन ने कहा कि इस कमान का नाम बदलकर इंडो-पैसिफिक इसलिये रखा गया क्योंकि यह आर्थिक और सैन्य हकीकत में बदलाव को प्रतिबिंबित करता है। अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान की ‘क्वाड’ के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत नीति घेरने की नीति नहीं है। इस ‘क्वाड’ को चीन को घेरने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
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