Prabhasakshi Newsroom। 3 दिवसीय चिंतन शिविर में 6 मुद्दों पर होगा मंथन, क्या उदयपुर में होगा कांग्रेस का उदय ?

Chintan Shivir
प्रतिरूप फोटो
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साल 2014 में केंद्र की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस लगातार राज्य दर राज्य भी लुढ़कती जा रही है। अभी उनके पास पूर्ण रूप से राजस्थान और छत्तीसगढ़ ही बचा हुआ है, जहां पर अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में कांग्रेस 6 बड़े मुद्दों पर चिंतन करना होगा। जिसको लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही ग्रैंड ओल्ड पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर की शुरुआत हो गई है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेता ट्रेन से उदयपुर पहुंचे। इस दौरान राहुल गांधी ने स्टेशन पर कई कुलियों से मुलाकात की और अपनी उनकी परेशानियां सुनी। चिंतन शिविर की शुरुआत कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी के संबोधन से हुई। 

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साल 2014 में केंद्र की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस लगातार राज्य दर राज्य भी लुढ़कती जा रही है। अभी उनके पास पूर्ण रूप से राजस्थान और छत्तीसगढ़ ही बचा हुआ है, जहां पर अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में कांग्रेस 6 बड़े मुद्दों पर चिंतन करना होगा। जिसको लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। इसके लिए बकायदा पार्टी ने 6 समितियों का भी गठन किया था। जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, कृषि इत्यादि से जुड़े हुए मुद्दे हैं।

पुरानी रणनीति के सहारे नए चेहरों को तलाशेगी कांग्रेस

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी ने जब पार्टी में दखल देना शुरू किया था तो उन्होंने नए चेहरों पर जमकर दांव लगाया था और पुराने चेहरों को हटाकर नई ऊर्जा, नई रणनीति और भविष्य की योजनाओं के साथ एक-से-बढ़कर-एक नेताओं को ढूंढ निकाला था और उन्हीं के दम पर पार्टी वापस सत्ता में पहुंची थी और आज भी उन नेताओं के बिना पार्टी अधूरी सी लगती है। लेकिन पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इसी परिपाटी में आगे बढ़ने की कोशिश की थी और वो बुरी तरह से असफल रहे थे और उनके द्वारा लाए गए नए चेहरे पार्टी से छिटक गए और दूसरे दलों का नेतृत्व करने लगे।

राज्यसभा सीट पर बन सकता है नियम

कांग्रेस में नए चेहरों को नेतृत्व देने को लेकर चर्चा चल रही है। पार्टी नेताओं के सभी स्तरों पर संगठन में पदों पर रहने और चुनाव लड़ने के लिए एक आयु सीमा तय किया जा सकता है। इसके अलावा अब राज्यसभा सदस्यों के लिए कार्यकाल की सीमा तय करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है ताकि युवाओं को भरपूर मौका दिया जा सके।

माना जा रहा है कि पार्टी के सभी पदाधिकारियों का अधिकतम कार्यकाल की समयसीमा 5 साल निर्धारित की जा सकती है। इसके बाद उन्हें 3 साल का आराम दिया जा सकता है और एक व्यक्ति, एक पद फॉर्मूले को गंभीरता से लागू करने पर भी चिंतन हो रहा है। 2014 से शुरू हुए चुनावी हार के सिलसिले को तोड़ने के लिए 430 कांग्रेसी नेता एकत्रित हुए हैं, जो गंभीरता के साथ मंथन कर रहे हैं। 

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ध्रुवीकरण की हो रही राजनीति

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि आज जब देश प्रजातांत्रिक, आर्थिक और सामाजिक संक्रमणकाल के दौर से गुजर रहा है, तब कांग्रेस एक बार फ़िर देश को प्रगति, समृद्धि और उन्नति के पथ पर लाने के लिए एक नव संकल्प की दृढ़ प्रतिज्ञा ले रही है। उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी, डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में गिरावट, अर्थव्यवस्था की स्थिति, देश के समक्ष खड़ी सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि इन समस्याओं पर पर्दा डालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है।

सुधार करने में सक्षम है कांग्रेस

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस के पास अपने भीतर से जरूरी सुधार करने की क्षमता और नेतृत्व है। कांग्रेस में संसदीय बोर्ड पहले रहा है और होना चाहिए, लेकिन चिंतन शिविर में इस पर चर्चा नहीं होगी, क्योंकि संगठन के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और ऐसे विषय पर चुनाव के बाद विचार होगा। हुड्डा उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस में आमूल-चूल बदलाव की मांग को लेकर पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखा था।

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