हाई कोर्ट ने कहा- अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत कालकोठरी से बदतर, अब गुजरात सरकार देगी जवाब

Gujarat High Court

गुजरात हाई कोर्ट ने कहा था कि सिविल अस्पताल की हालत कालकोठरी से बदतर है और वहां रोगियों के हालात, चिंताजनक, दर्दनाक और दयनीय हैं।

अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने कोरोना संकट के बीच अहमदाबाद सिविल अस्पताल के हालात और कोविड-19 की जांच नीति पर हाई कोर्ट से फटकार लगने के बाद रविवार को कहा कि वह विस्तृत जवाब दाखिल करके बताएगी कि उसने हालात को काबू करने के लिये कितनी कड़ी मेहनत की है। हाई कोर्ट ने राज्य की कोरोना वायरस जांच नीति को मामलों को नियंत्रित करने का बनावटी तरीका करार दिया था। अदालत ने यह भी कहा था कि सिविल अस्पताल की हालत कालकोठरी से बदतर है और वहां रोगियों के हालात, चिंताजनक, दर्दनाक और दयनीय हैं। उपमुख्यमंत्री तथा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने पत्रकारों से कहा कि गुजरात हाई कोर्ट ने कुछ सवाल पूछे हैं, कुछ दिशा-निर्देश दिये हैं, कुछ सुझाव भी दिये हैं और अपने विचार भी रखे हैं। मुख्यमंत्री, कानून मंत्री और मैंने महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी के साथ विस्तृत बैठक की है और राज्य सरकार अगले सप्ताह अपना जवाब दाखिल करेगी।

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अदालत के सवाल पर कि स्वास्थ्य मंत्री ने कितनी बार सिविल अस्पताल का दौरा किया, इस पर उन्होंने कहा कि मैं उन मामलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा जो हाई कोर्ट के विचाराधीन हैं। मुझपर जो आरोप लगे हैं उनपर मैं कहूंगा कि मैंने पिछले दो महीनों में पांच बार शहर के सिविल अस्पताल का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि मेरी उम्र 64 वर्ष है और एक वरिष्ठ नागरिक होने के नाते, मुझे सलाह दी गई है कि घर से बाहर न निकलें। पिछले 55 दिनों से मैंने बिना अवकाश लिए काम किया है और स्वास्थ्य विभाग के कई मुद्दों में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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