सफाई कर्मियों की हड़ताल: केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोप

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[email protected] । Oct 9 2018 10:23AM

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ अमीर लोगों के ऋण माफ करने होते तो ये तुरंत कर देते, लेकिन नगर निगम के गरीब कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं, जो पिछले तीन सप्ताह से हड़ताल पर है।

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ अमीर लोगों के ऋण माफ करने होते तो ये तुरंत कर देते, लेकिन नगर निगम के गरीब कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं, जो पिछले तीन सप्ताह से हड़ताल पर है। भाजपा ने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह केंद्र द्वारा ईडीएमसी को दिए जाने वाले कोष को लेकर ‘झूठ’ बोल रहे हैं।

पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के सफाई कर्मचारी वेतन के नियमित भुगतान और कर्मियों को स्थायी किए जाने की मांग को लेकर 12 सितंबर से हड़ताल पर हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र को नगर निगमों को 5000 करोड़ रुपए देने हैं। केजरीवाल ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘पिछले हफ़्ते, उच्चतम न्यायालय की सलाह पर दिल्ली सरकार ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को 500 करोड़ रुपए दिए।

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय की सलाह के बावजूद 500 करोड़ रुपए देने से मना किया जबकि केंद्र का एमसीडी को 5000 करोड़ रुपए देना बनता है। क्या भाजपा की दिल्ली के प्रति यही ज़िम्मेदारी है? फिर दिल्ली वाले आपको लोकसभा चुनाव में क्यों वोट दें?’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘धोखा, दिल्ली की जनता के साथ धोखा, एमसीडी चुनाव के समय मनोज तिवारी और सभी भाजपा नेताओं ने जनता से वादा किया था, एमसीडी चुनाव जिताएं, हम सीधे मोदी जी से फंड ले कर आया करेंगे, दिल्ली को स्वच्छ बनाएंगे, अब केंद्र ने एमसीडी को दुलत्ती मार दी, ये जुमला साबित हूआ।’

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा झूठ बोला कि ईडीएमसी को 950 करोड़ रुपए दिये। जबकि वास्तविकता है कि इसमें से 350 करोड़ रुपये लोन है, जिस पर सूदखोर दिल्ली आप सरकार, मजबूर ईडीएमसी से 10.50 % की दर से ब्याज वसूल रही है।’

भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ‘‘जानबूझकर तथ्य छुपाए’’ और अनुदान सहायता के रूप में बड़े आकंड़ों को दर्शाने की यह ‘‘बेईमानी’’ है, जिसमें वास्तव में ऋण राशि और ब्याज शामिल है।

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