राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए समितियों का गठन, शिक्षा मंत्री ने कहा- इसे समय सीमा में लागू करना है

Ramesh Pokhriyal Nishank

शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, ‘‘ हम लगातार शिक्षाविदों, विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं। हम उनसे बिन्दुवार सुझाव मांग रहे हैं कि इसे किस तरह से लागू किया जा सकता है। इसके लिये गंभीर प्रयास शुरू हो गए हैं। ’’

नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बृहस्पतिवार को कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिये समितियों का गठन किया जा रहा है और शिक्षाविदों, विशेषज्ञों से संवाद कर सुझाव प्राप्त किये जा रहे हैं। निशंक ने ‘शिक्षा संवाद : भारत को एक वैश्विक सुपरपावर बनाने की दृष्टि’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा, ‘‘ हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिये समितियों का गठन कर रहे हैं। हमें इसे समय सीमा में लागू करना है। इसके लिये राज्यों के साथ पूरा समन्वय किया जायेगा। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम लगातार शिक्षाविदों, विशेषज्ञों से बात कर रहे हैं। हम उनसे बिन्दुवार सुझाव मांग रहे हैं कि इसे किस तरह से लागू किया जा सकता है। इसके लिये गंभीर प्रयास शुरू हो गए हैं। ’’ 

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शिक्षा मंत्री ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय 300 से अधिक महाविद्यालयों को मान्यता नहीं दे पायेंगे। उन्होंने कहा कि अभी काफी ऐसे विश्वविद्यालय हैं जिनसे 800 तक डिग्री कॉलेज संबद्ध हैं। ऐसे में क्या उस विश्वविद्यालय के कुलपति को 800 डिग्री महाविद्यालयों के प्राचार्यों के नाम भी याद होंगे। 

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निशंक ने कहा, ‘‘ यही वजह है हम कह रहे हैं कि नई शिक्षा नीति में चरणबद्ध तरीके से इस पर काम करेंगे। एक विश्वविद्यालय 300 से अधिक महाविद्यालयों को मान्यता नहीं दे सकता। उसके लिए हमें विश्वविद्यालय बढ़ाने होंगे और हम वह करेंगे।’’ मातृमें प्रारंभिक शिक्षा का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंग्रेजी का कोई विरोध नहीं हैं लेकिन हम भारतीय भाषाओं को मजबूत बनाना चाहते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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