कांग्रेस का आरोप: जज लोया मामले में जनहित याचिका के पीछे RSS का हाथ
कांग्रेस ने न्यायाधीश बी एच लोया की मौत मामले में जनहित याचिका दायर किए जाने के पीछे आरएसएस का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम राजनीति से प्रेरित था।
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने न्यायाधीश बी एच लोया की मौत मामले में जनहित याचिका दायर किए जाने के पीछे आरएसएस का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम राजनीति से प्रेरित था। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने कहा कि वे उच्चतम न्यायालय की इस बात से सहमत हैं कि जनहित याचिकाएं राजनीतिक मंशा और मन मुताबिक परिणाम की उम्मीद के साथ भी दायर की जाती हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस के नेता भैयाजी जोशी के कहने पर याचिका दायर की गयी थी। कांग्रेस लोया की मौत मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करती आ रही है। सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, ‘लोया मामले में जिस व्यक्ति ने पहली बार जनहित याचिका दायर की वह नागपुर से है और उसका नाम है सूरज लोलगे। उसने 27 नवंबर, 2017 को याचिका दायर की। इसके बाद कई और याचिकाएं दायर हुईं, लेकिन वो 2018 में हुईं। अब यह पता चला है कि सूरज लोलगे आरएसएस और भाजपा के खासमखास हैं।’
उन्होंने कहा कि लोलगे ने 25 दिसंबर, 2016 को नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से टिकट की मांग की थी और साथ पैसा भी जमा किए (थे) । उसकी रसीद भी हमारे पास है। सिब्बल ने दावा किया, ‘यह व्यक्ति भाजपा का सदस्य और आरएसएस का स्वयंसेवक है। इनकी जनहित याचिका का मकसद का क्या था मुझे स्पष्ट रूप से मालूम नहीं है लेकिन उनकी बातचीत का विवरण है जिसमें वो कह रहे हैं उन्होंने भैयाजी जोशी की तरफ से याचिका दायर की है।’
सिब्बल ने आरटीआई कार्यकर्ता सतीश उके और लोलगे के बीच हुई कथित बातचीत का ऑडियो जारी किया। यह बातचीत मराठी भाषा में है। उन्होंने कहा कि साफ जाहिर हो गया कि जो याचिका दायर की गई उसके पीछे एक सोच थी। सोच यह थी कि किसी तरह से यह मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच जाए। इसके दो मकसद हो सकते हैं। एक मकसद हो सकता है कि इस मामले में किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच हो और दूसरा यह कि एक व्यक्ति को बचाया जा सके।
कांग्रेस नेता ने कहा कि तथ्य आपके सामने हैं। यह फैसला भारत के लोगों को करना है कि आरएसएस की मंशा क्या थी। कांगेस नेता ने लोलगे की भाजपा नेताओं से कथित निकटता दिखाने के लिए कुछ तस्वीरें भी जारी कीं। पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि जनहित याचिका का एक अन्य पहलु है जिससे संकेत मिलता है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल राजनीतिक हितों को साधने के लिए किया गया हो सकता है।
दिलस्चप बात यह है कि 30 जनवरी को सिब्बल और सलमान खुर्शीद की मौजूदगी वाले संवाददाता सम्मेलन में लोलगे मौजूद थे। वह तस्वीर में आरटीआई कार्यकर्ता उके के साथ बैठे देखे गए। गौरतलब है कि न्यायाधीश लोया की मौत की मांग से जुड़ी याचिकाओं को 19 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
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