MP विधानसभा चुनाव: CM पद के दावेदार से किनारा काट रही है कांग्रेस

Congress can''t open the name of chief minister candidate in madhya pradesh
[email protected] । Apr 25 2018 2:11PM

मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। लेकिन कांग्रेस संभवत: आंतरिक खींचतान टालने के लिये इस अहम सवाल को फिलहाल दरकिनार कर रही है

इंदौर। मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। लेकिन कांग्रेस संभवत: आंतरिक खींचतान टालने के लिये इस अहम सवाल को फिलहाल दरकिनार कर रही है कि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में अपने किसी बड़े नेता के नाम की औपचारिक घोषणा करेगी या नहीं। दिग्गज नेताओं के अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस पिछले डेढ़ दशक से राज्य की सत्ता से बाहर है. उधर, भाजपा काफी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में लड़ेगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने आज कहा कि आखिर यह कहां लिखा है कि अगले विधानसभा चुनाव में शिवराज के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का दावेदार पेश करना कांग्रेस के लिये अनिवार्य है। वैसे भी राज्य के इतिहास में कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का दावेदार उतारने की परम्परा नहीं रही है। उन्होंने कहा कि अभी सबसे अहम जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस के सभी बड़े नेता प्रदेश की जन विरोधी भाजपा सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिये मिलकर संघर्ष करें।

यादव ने हालांकि कहा कि अगर हमें चुनावी चेहरा घोषित करने की जरूरत पड़ती है, तो अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे। बहरहाल, कांग्रेस आलाकमान के सामने यह आशंका जाहिर तौर पर मौजूद है कि किसी एक दिग्गज नेता के सिर पर चुनावी ताज रखे जाने से पार्टी के अन्य गुटों के अगुवा नाराज हो सकते हैं। नतीजतन राज्य के सत्ता प्रतिष्ठान से लंबा वनवास खत्म करने के पार्टी के मंसूबे की राह में अंदरूनी अड़चन आ सकती है। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया इस सवाल पर सीधी प्रतिक्रिया देने से साफ बचते दिखायी दिये कि शिवराज की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ भाजपा की चुनौती का सामना करने के लिये प्रमुख विपक्षी दल अपने चुनावी चेहरे की घोषणा को रणनीतिक तौर पर कितना जरूरी मानता है। बाबरिया बोले मैं फिलहाल इस विषय में कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकूंगा। हम कांग्रेस के लिये तमाम जरूरी कदम उठायेंगे।

अगले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर माना जाता है कि कांग्रेस के खेमे में राज्य के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की दौड़ में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे है। बहरहाल, कमलनाथ चुनावी चेहरे के मुद्दे को नया मोड़ देते हुए कह चुके हैं, प्रदेश में केवल एक चुनावी चेहरे से कांग्रेस का काम नहीं चलेगा। हमें कई चुनावी चेहरों की आवश्यकता है। 

इस बीच, कोई छह महीने में करीब 3,300 किलोमीटर लम्बी नर्मदा परिक्रमा हाल ही में पूरी करने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सियासत में दोबारा सक्रिय हो गये हैं। वह प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के कांग्रेसी दावेदार की जरूरत के सवाल को पीछे धकेलने की कोशिश करते दिखायी देते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र है जहां चेहरा नहीं, बल्कि पार्टी चुनाव जिताती है।

दिसंबर 1993 से दिसंबर 2003 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रहे "दिग्गी राजा" इस पद की दावेदारी की दौड़ से खुद को बाहर बता चुके हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान अगले विधानसभा चुनावों के समीकरणों को देखते हुए राज्य में पार्टी के बड़े नेताओं को आने वाले दिनों में अहम जिम्मेदारियां सौंप सकता है। नयी जिम्मेदारियों के जरिये सूबे में कांग्रेस के दिग्गजों के बीच शक्ति का चुनावी संतुलन स्थापित करने की कवायद की जा सकती है।

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