कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने बेंगलुरू में निकाला ‘स्वतंत्रता मार्च’

Congress march
ANI

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने सोमवार को यहां देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर ‘स्वतंत्रता मार्च’ निकाला, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख डी. के. शिवकुमार, उनके भाई एवं सांसद डी. के. सुरेश सहित अन्य नेताओं ने भाग लिया।

बेंगलुरू, 16 अगस्त। कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने सोमवार को यहां देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर ‘स्वतंत्रता मार्च’ निकाला, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख डी. के. शिवकुमार, उनके भाई एवं सांसद डी. के. सुरेश सहित अन्य नेताओं ने भाग लिया। रैली के पूरे रास्ते में तिरंगा लगा हुआ था और इसमें शामिल सभी लोगों के हाथों में झंडा था।

रैली आनंद राव सर्कल, फ्रीडम पार्क, कॉर्पोरेशन, टाउन हॉल, मिनर्वा सर्कल, वीवी पुरम सहित अहम मार्गों से गुजरने के बाद नेशनल कॉलेज ग्राउंड में समाप्त हुई तथा वहां एक जनसभा आयोजित की गई। सिद्धरमैया ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने 17 साल के कार्यकाल में आधुनिक भारत के निर्माण के लिए गंभीर प्रयास किए और कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा किया। उन्होंने कहा कि नेहरू ने कई बांधों, सड़कों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों का निर्माण कराया तथा देश को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया।

उन्होंने अफसोस जताया कि देश में तेजी से प्रगति होने के बावजूद असमानता मौजूद है। उन्होंने कहा, जब तक हम वित्तीय और सामाजिक समानता हासिल नहीं कर लेते, तब तक राजनीतिक समानता और देश की आजादी का कोई मतलब नहीं है। इस मौके पर शिवकुमार ने कहा कि लोग महंगाई से परेशान हैं एवं अनिश्चितता के कारण वे डर के साए में जी रहे हैं। उन्होंने कहा, किसी की भी आय दोगुनी नहीं हुई, जैसा वादा किया गया था। महंगाई आसमान छू रही है... वे देश के चरित्र को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हमारे देश के इतिहास को कोई नहीं बदल सकता है।

उन्होंने इतिहास की किताबों से नेहरू और उनके उत्तराधिकारियों के योगदान को ‘मिटाने की कोशिशों’ को लेकर नाराजगी जताई। इस मार्च को कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि अगले वर्ष राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। सुरेश ने मार्च शुरू होने से पहले संवाददताओं से कहा, ‘‘ हम यह आयोजन स्वतंत्रता पाने के लिए महान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए बलिदानों के बारे में लोगों को बताने के लिए कर रहे हैं....।’’

रैली के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। इस मार्च को शिवकुमार की ओर से ‘सिद्धरमोत्सव’ के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है, जिसे कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने के लिए आयोजित किया था। वह कार्यक्रम इस माह की शुरुआत में दावणगेरे में आयोजित किया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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