हरियाणा के कुछ हिस्सों में धान की खेती पर रोक के आदेश के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन

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धनोत्री ने बताया कि सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए केवल चार नेताओं को ही सांकेतिक प्रदर्शन में बुलाया गया। बाद में कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ स्थानीय उप मंडलीय दंडाधिकारी (एसडीएम) को एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन राज्यपाल के नाम संबोधित था।

शाहाबाद (कुरूक्षेत्र)।  हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के कुछ हिस्सों में धान की फसल लगाने पर लागू पाबंदी के खिलाफ मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया और दावा किया कि इस फैसले से किसान करीब 4.5 लाख एकड़ जमीन पर खेती नहीं कर पाएंगे। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और पूर्व विधायक अनिल धनोत्री के नेतृत्व में पार्टी के नेताओं ने शाहाबाद में धरना दिया और आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की। धनोत्री ने बताया कि सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए केवल चार नेताओं को ही सांकेतिक प्रदर्शन में बुलाया गया। बाद में कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ स्थानीय उप मंडलीय दंडाधिकारी (एसडीएम) को एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन राज्यपाल के नाम संबोधित था। सुरजेवाला ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार ‘‘धान की खेती से वंचित रखकर किसानों को बर्बाद करने का काम कर रही है।’’ सुरजेवाला ने राज्य सरकार से सवाल किया, ‘‘किसानों को अपनी ही जमीन पर धान की खेती करने से आप कैसे मना कर सकते हैं। चेतावनी के बावजूद धान रोपने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य फायदे देने से भी इंकार किया गया है। ’’ कांग्रेस नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा कि गठबंधन सरकार उत्तरी हरियाणा के किसानों को ‘मेरा पानी, मेरी विरासत योजना’ के नाम पर ‘‘दंडित’’ कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा-जजपा सरकार का राज्य के शाहाबाद, पिपली, इस्माइलबाद, सिवन, गुहला और अन्य प्रखंडों में धान की खेती पर रोक लगाने का फैसला तानाशाही है और यह किसानों को स्वीकार्य नहीं है।’’ 

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‘मेरा पानी मेरी विरासत योजना’ के तहत 19 प्रखंडों में जल स्तर 40 मीटर से नीचे चले जाने के कारण किसानों को धान की खेती वाली कम से कम 50 प्रतिशत जमीन पर मक्का, बाजरा और दाल जैसी फसल उगानी होगी। इन प्रखंडों में किसानों को उन क्षेत्रों में धान की खेती करने की इजाजत नहीं होगी जहां पर पिछले साल धान की रोपाई की गयी थी। दूसरी फसलें उगाने के लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि के तौर पर प्रति एकड़ 7,000 रुपये दिए जाएंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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