कांग्रेस ने कन्नूर विवि में विवादित नियुक्ति को रोकने के राज्यपाल के फैसले का समर्थन किया

Kannu University
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केरल में विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से कन्नूर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर की विवादित नियुक्ति रोकने का बृहस्पतिवार को समर्थन किया और कहा कि राज्यपाल ने कुलाधिपति के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार कानूनी रूप से कार्य किया है।

तिरुवनंतपुरम/नयी दिल्ली, 19 अगस्त। केरल में विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से कन्नूर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर की विवादित नियुक्ति रोकने का बृहस्पतिवार को समर्थन किया और कहा कि राज्यपाल ने कुलाधिपति के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार कानूनी रूप से कार्य किया है। वहीं, सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया कि केंद्र अपने राजनीतिक उद्देश्य साधने के लिए राज्यपाल का इस्तेमाल कर रहा है और वाम सरकार को ‘‘गिराने’’ का प्रयास किया जा रहा है।

माकपा के राज्य सचिव के. बालाकृष्णन ने आरोप लगाया कि सरकार के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का हाथ है। उन्होंने पार्टी के एक कार्यक्रम के दौरान आरोप लगाया, ‘‘ माकपा (राज्य में) नई राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रही है। आरएसएस अगले तीन साल के एजेंडे पर काम कर रहा है। दिल्ली ऐसी गतिविधियों का केंद्र है। आरएसएस का कार्यालय इसका (सरकार विरोधी कदम का)मुख्यालय है। ’’

इस बीच, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कन्नूर विश्वविद्यालय के मलयालम विभाग में एक माकपा नेता की पत्नी को एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने के कदम की आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि जो व्यक्ति योग्य नहीं है उसे नियुक्त करना पक्षपात और भाई-भतीजावाद का मामला प्रतीत होता है। कन्नूर विश्वविद्यालय ने मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के निजी सचिव के.के. राजेश की पत्नी प्रिया वर्गीज को मलयालम विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया था।

इससे विवाद हो गया, क्योंकि वर्गीज के अनुसंधान में सबसे कम अंक थे जबकि साक्षात्कार में उन्हें सबसे ज्यादा अंक मिले और उन्हें चयन प्रक्रिया में प्रथम घोषित किया गया। बुधवार रात को राज्यपाल ने इस नियुक्ति को रोक दिया। प्रस्तावित नियुक्ति को रोकने की राज्यपाल की कार्रवाई को जायज़ बताते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि खान ने वास्तव में अपनी शक्ति का इस्तेमाल कन्नूर विश्वविद्यालय में अवैध नियुक्ति के प्रयास को रोकने के लिए किया।

उन्होंने मांग की कि राज्यभर के अन्य विश्वविद्यालयों में पिछले छह बरस में सत्तारूढ़ दल के नेताओं के करीबी रिश्तेदारों की इसी तरह की कथित नियुक्तियों की व्यापक जांच की जानी चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने अपना आरोप दोहराया कि राज्य के विश्वविद्यालयों में संकाय पद माकपा नेताओं के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित हैं। उन्होंने कहा, “ योग्य व्यक्तियों (नौकरी के इच्छुक) को खुले तौर पर न्याय से वंचित किया गया है। पिछले छह साल में भी ऐसा ही हुआ है।

राज्यपाल को ऐसी सभी नियुक्तियों की जांच के लिए कदम उठाने चाहिए और उन्हें रद्द करना चाहिए।” सतीशन यहां जिला कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) कार्यालय में पार्टी के एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने विजयन सरकार से आग्रह किया कि वह विश्वविद्यालयों में नियुक्ति की जिम्मेदारी लोक सेवा आयोग को सौंप दें ताकि इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित रहे। इससे पहले, माकपा के राज्य सचिव के बालाकृष्णन ने पार्टी के मुखपत्र ‘देशाभिमानी’ में लिखे अपने लेख में राज्यपाल पर जोरदार हमला बोला और आरोप लगाया कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार खान का इस्तेमाल कर वाम सरकार को दुविधा में डाल रही है। एक विस्तृत लेख में, बालकृष्णन ने आरोप लगाया कि राज्यपाल नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा के एक उपकरण के रूप में काम कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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