राफेल पर जेपीसी गठित नहीं हुई तो समझिए ‘पूरी दाल ही काली है: कांग्रेस
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री अलग अलग तरह के बयान दे रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार जेपीसी की मांग नहीं मानती है तो हमें यह उत्तर मिल जाएग जाएगा कि दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।’
नयी दिल्ली। राफेल विमान सौदे में कथित अनियमितता की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग कर रही कांग्रेस ने आज कहा कि अगर सरकार उसकी यह मांग नहीं मानती तो यह साबित हो जाएगा कि इस मामले में ‘पूरी दाल ही काली है।’ पार्टी नेता पवन खेड़ा ने आज संवाददाताओं से कहा, ‘‘विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है। इस सरकार के पास छिपाने के लिए बहुत कुछ है। बताने की हिम्मत नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री अलग अलग तरह के बयान दे रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार जेपीसी की मांग नहीं मानती है तो हमें यह उत्तर मिल जाएग जाएगा कि दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।’’ मानसून सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस एवं कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने राफेल विमान सौदे में कथित अनियमितता को लेकर केंद्र सरकार से जवाब देने की मांग करते हुए आज संसद परिसर में पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के नेतृत्व में प्रदर्शन किया।
पार्टी के सदस्यों ने इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति के गठन की भी मांग की। कांग्रेस सदस्यों ने लोकसभा में इस विषय को उठाते हुए आसन के समीप आकर नारेबाजी की। इस मुद्दे पर शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट भी किया। कांग्रेस और राहुल गांधी पिछले कुछ समय से राफेल विमान सौदे को लेकर सरकार पर लगातार निशाना साधते रहे हैं। ।
इस मामले में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे रखा है। उनका आरोप है कि मोदी और सीतारमण ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राफेल के मुद्दे पर सदन को गुमराह किया।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल नाथ द्वारा राज्य विधानसभा चुनाव में वीवीपैट के इस्तेमाल और वीवीपैट की पर्ची के मिलान की मांग पर खेड़ा ने कहा, ‘‘यह बिल्कुल उचित मांग है। वीवीपैट पर सरकार को बहाने नहीं बनाने चाहिए। वीवीपैट का मिलान हो। इस तरह के कदम लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी।’’ तीन तलाक विरोधी विधेयक से जुड़े सवाल पर खेड़ा ने कहा, ‘‘यह सरकार हर चीज पर राजनीति करती है। अगर कुछ विधेयक पारित नहीं होते हैं तो सरकार काम है कि वह सबसे बात करे, सहमित बनाए और रास्ते निकाले।
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