महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की ‘गारंटी’ देगी कांग्रेस: सुष्मिता देव

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[email protected] । Feb 3 2019 2:07PM

संप्रग सरकार के समय लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित किया गया था।

नयी दिल्ली। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने रविवार को कहा कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में महिला आरक्षण विधेयक को महज एक वादे के तौर स्थान नहीं देगी, बल्कि इसे पारित कराने की गारंटी देगी। उनकी इस टिप्पणी से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार बनने पर उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक को प्राथमिकता के आधार पर पारित कराएगी। कांग्रेस की घोषणापत्र समिति की सदस्य सुष्मिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम अपने चुनावी घोषणापत्र में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के संदर्भ में गारंटी देंगे।’’सुष्मिता ने नरेंद्र मोदी सरकार पर महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कोई प्रयास नहीं करने का आरोप लगाया।

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कांग्रेस ने अध्यक्ष ने पिछले दिनों कोच्चि में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, ‘‘2019 का चुनाव जीतने पर पहली चीज हम यह करेंगे कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो।' महिला कांग्रेस की अध्यक्ष ने यह भी दावा किया, ‘‘2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाया था और महिलाओं को लगा कि इनके आने से स्थिति सुधरेगी। लेकिन पिछले साढ़े चार वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े हैं।’’

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गौरतलब है कि महिला आरक्षण विधेयक वर्षों से अटक पड़ा है। सबसे पहले इसको एचडी देवेगौड़ा की सरकार ने पहली बार 1996 में पेश करने की कोशिश की थी, लेकिन सपा और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के विरोध के चलते सफलता नहीं मिली। विरोध करने वाली पार्टियां इस प्रस्तावित आरक्षण में दलित, पिछड़े और समाज के दूसरे वंचित तबकों के लिए अलग कोटे का प्रावधान चाहती हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने 1998, 1999 और 2003 में इस विधेयक को लाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 

संप्रग सरकार के समय लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित किया गया था। लेकिन 15वीं लोकसभा के भंग होने के बाद यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया। कांग्रेस पिछले कई चुनाओं में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने का वादा करती आई है।

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