स्थान की कमी के मद्देनजर संसद की नयी इमारत पर विचार

[email protected] । Apr 13 2017 5:36PM

बढ़ती आबादी के अनुरूप सांसदों की संख्या में वृद्धि की संभावना एवं सुरक्षा-प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं के मद्देनजर संसद के नये भवन की संभावना पर विचार किया जा रहा है।

बढ़ती आबादी के अनुरूप सांसदों की संख्या में वृद्धि की संभावना एवं सुरक्षा-प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं के मद्देनजर संसद के नये भवन की संभावना पर विचार किया जा रहा है जिसके बारे में करीब डेढ़ साल पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखा था। सुमित्रा महाजन ने अनौपचारिक बातचीत के दौरान कहा, ‘‘नये भवन की बात सोच रहे हैं। इस बारे में प्रस्ताव दिया है। स्थान की कमी हो रही है।’’

नए संसद भवन की जरूरत को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ने करीब पांच साल में दो बार शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखा है। अध्यक्ष की ओर से लिखे गए पत्र में वर्तमान भवन को पुरानी हो रही धरोहर इमारत बताया है। जुलाई 2012 में मीरा कुमार ने स्पीकर रहते हुए इस बारे में खत लिखा था। इसके बाद अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नौ दिसंबर 2015 को केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू को पत्र लिखा था। सूत्रों के अनुसार, शहरी विकास मंत्रालय द्वारा इस बारे में विचार एवं राय पेश करने की संभावना है। उन्होंने कहा कि नया भवन आतंकी खतरों से निपटने एवं नई प्रौद्योगिकी से युक्त तथा हरित इमारत की अवधारणा पर आधारित होने की बात कही गई है जो सौर पैनल से लैस की जायेगी।

महाजन ने पत्र में लिखा था कि, वर्तमान परिसर ग्रेड 1 हेरिटेज बिल्डिंग है और यह पुरानी हो रही है। इस पर पुराने होने के निशान भी दिखाई देने लगे हैं। मरम्मत में बाधाएं आने के साथ ही स्टाफ के कामों में भी दिक्कत आने लगी है। इसके चलते नए भवन की जरूरत महसूस की जा रही है।

इससे पहले मीरा कुमार के कार्यकाल के दौरान 13 जुलाई 2012 को पत्र भेजा गया था। तत्कालीन शहरी विकास सचिव सुधीर कृष्णा को भेजे गये इस पत्र में बताया गया था कि 2026 के बाद लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों की संख्या में इजाफा हो सकता है। इसमें नए संसद भवन के लिए सर्वे कर जगह ढूंढ़ने को कहा गया था। वहीं सुमित्रा महाजन के पत्र में तो वैकल्पिक जगह भी सुझाई गई । महाजन ने संसद भवन परिसर के प्लॉट नंबर 118 को इसके विकल्प के रूप में बताया है। गौरतलब है कि वर्तमान संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था। 1927 में यह उपयोग में लाया गया।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि पहले यह भवन सिर्फ सांसदों और सचिवालय के कर्मचारियों के लिए था, लेकिन संसदीय कामकाज बढ़ने, समितियों और सुरक्षा जरूरते बढ़ने के कारण जगह की मांग कई गुना बढ़ गई है। अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि संसद की इमारत को ‘धरोहर स्थल ग्रेड-1’ घोषित किया गया है, ऐसे में इसके ढांचे की मरम्मत, इसमें विस्तार, बदलाव और परिवर्तन में कई तरह की सीमाएं हैं।

उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि साल 2026 के बाद लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ने की संभावना है और यह संविधान के अनुच्छेद 81 के उपबंध 3 के तहत हो सकता है। अभी लोकसभा में बैठने की क्षमता 550 सीटों की है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता। सुमित्रा महाजन ने लिखा था कि अगर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष को भी लोकसभा चैम्बर के रूप में बदला जाए, तब भी 550 सदस्यों से अधिक इसमें नहीं आ सकेंगे।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि प्रौद्योगिकी के उन्नत होने के साथ ऐसी योजना है कि सांसदों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जाए और संसद को कागजी कार्रवाई से मुक्त किया जाए। इसके कारण लोकसभा चैम्बर में बैठक की व्यवस्था को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत होगी। चैम्बर में वर्तमान बैठने की व्यवस्था की सीमाएं हैं। नई इमारत से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस आधुनिक संसद का विकल्प पेश होगा।

सुमित्रा महाजन ने अपने पत्र में लिखा था कि इन परिस्थितियों में संसद की नयी अत्याधुनिक इमारत के निर्माण की जरूरत है। नए संसद भवन के निर्माण का एक विकल्प परिसर के अंदर होगा और दूसरा राजपथ के दूसरी ओर हो सकता है जो उपयुक्त रूप से बड़ा क्षेत्र है और जहां नए परिसर की डिजाइन तैयार करने की स्वतंत्रता हो सकती है। वर्तमान इमारत और प्रस्तावित नयी इमारत दोनों परिसरों को भूमिगत मार्ग से जोड़े जाने का सुझाव भी दिया गया है।

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