हमारी संस्कृति और संविधान में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं: राष्ट्रपति कोविंद

Constitution has no place for violence, says President RamNath kovind
[email protected] । Jul 26 2018 8:52PM

छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल सुरक्षा बलों के त्याग की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि हमारे संविधान और संस्कृति में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल सुरक्षा बलों के त्याग की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि हमारे संविधान और संस्कृति में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में नक्सलवाद से गुमराह कुछ लोगों ने हिंसा और भय का माहौल बनाने की कोशिश की। हमारी संस्कृति एवं परंपरा और, सबसे बढ़कर, हमारे संविधान में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।

बस्तर जिले के दिमरापाल गांव में लेफ्टिनेंट बलिराम कश्यप मेमोरियल मेडिकल कॉलेज का नवनिर्मित अस्पताल भवन राष्ट्र को समर्पित करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने ये बातें कही। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रशासन और समाज ने गुमराह हुए नौजवानों का विश्वास जीतने की दिशा में काफी सफलता पाई है। कोविंद ने कहा कि सरकार ने अहिंसा और विकासात्मक गतिविधियों के जरिए हिंसा एवं आतंक की समस्या पर लगाम लगाने की कोशिश है।

उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार की तारीफ की और इसके प्रति लोगों के समर्थन को भी सराहा। कोविंद ने कहा कि मैं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा और राज्य की अखंडता सुनिश्चित करने के दौरान पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों के त्याग के लिए उन्हें सलाम करता हूं। उन्होंने कहा कि आज कारगिल विजय दिवस है और मैं भारतीय थलसेना एवं उनके परिजन के त्याग को सलाम करता हूं। 

बस्तर में विकासोन्मुखी पहलों के लिए छत्तीसगढ़ की रमण सिंह सरकार की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि क्षेत्र में कई अहम बदलाव हुए हैं जो क्षेत्र में सड़कों, शैक्षणिक संस्थानों, इंटरनेट कनेक्टिविटी और अन्य सुविधाओं से स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि बस्तर के विकास के बगैर छत्तीसगढ़ के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती और छत्तीसगढ़ के विकास के बगैर देश का विकास नहीं हो सकता।

कोविंद ने कहा कि नवनिर्मित अस्पताल आधुनिक मेडिकल विज्ञान का प्रमुख केंद्र होगा और पूरे देश में मेडिकल शिक्षा एवं सेवाओं में उच्च मानक स्थापित करेगा। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने राज्य सरकार की ‘संचार क्रांति योजना’ की भी शुरूआत की जिसके तहत 45 लाख महिलाओं और पांच लाख युवाओं को मुफ्त में स्मार्टफोन दिए जाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि इस योजना से संपर्क के मामले में बस्तर और बेंगलूर के बीच का फर्क खत्म हो जाएगा।

कोविंद ने लोगों को सुझाव दिया कि वे साल में कम से कम दो दिन प्रकृति के करीब रहने वाले आदिवासियों के बीच बिताएं और उनकी समस्याएं समझने का प्रयास करें। कल दंतेवाड़ा के दौरे पर रहे कोविंद ने कहा कि कल, 25 जुलाई को, मैंने एक साल का कार्यकाल पूरा किया। मुख्यमंत्री रमण सिंह का न्योता मिलने के बाद मैंने तय किया था कि (उस दिन) दिल्ली से दूर जाकर अपने आदिवासी भाइयों-बहनों और बच्चों के साथ समय बिताऊंगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि मैं हमेशा से आदिवासी भाइयों एवं बहनों के करीब रहा हूं और मैं उनके लिए स्नेह महसूस करता हूं। उन्होंने कहा कि सरकार छोटे शहरों और जनजातीय इलाकों में रहने वालों के जीवन में सुधार के प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जनजातीय बहुल और ग्रामीण इलाकों के लोग केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई पहलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की रहने वाली कुंवर बाई और 60 वर्षीय गोविंदी बाई का भी जिक्र किया। कुंवर बाई ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुभंकर बन गई थीं। इस साल की शुरूआत में कुंवर बाई का निधन हुआ। गोविंदी बाई वयस्कों के लिए कंप्यूटर साक्षरता की शुभंकर के तौर पर उभरी हैं। उन्होंने दंतेवाड़ा के आस्था विद्या मंदिर की छात्रा इंदु माणिकपुरी और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली असम की धाविका हिमा दास की उपलब्धियों की तारीफ की। इंदु को अब्दुल कलाम इग्नाइट अवॉर्ड से नवाजा गया है।

कोविंद ने सियाचिन ग्लेशियर की अपनी यात्रा का अनुभव भी साझा किया और कहा कि सेना के जवान मुश्किल हालात में रहकर देश की सीमाओं की हिफाजत कर रहे हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री रमण सिंह भी मौजूद थे।

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